KHANDWA NEWS. ओंकारेश्वर के एकात्मधाम परियोजना से लाखों रुपये की धातु चोरी होने की घटना सामने आई है। यहां पांच साल पहले प्रदेशभर की 27 हजार ग्राम पंचायतों से तांबा, पीतल और कांस्य की सामग्री एकत्र की गई थी। इसका इस्तेमाल आद्यगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा के निर्माण के लिए होना था।
रविवार रात चोर परिसर के पीछे बने स्टोर रूम का ताला तोड़कर धातुओं के सामान को बोरों में भरकर जंगल के रास्ते भाग निकले। इसके बाद पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया और कुछ बोरे बरामद किए हैं। उनमें तांबा और पीतल के लोटे मिले हैं। पुलिस ने अनिल कैथवास की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
लाखों में है चोरी गए सामान की कीमत
संत समाज ने इसे आस्था पर चोट बताया है। षट्दर्शन संत मंडल के अध्यक्ष महंत मंगलदास त्यागी ने इस घटना की गंभीरता से जांच करने की मांग की। उन्होंने कहा कि 27 हजार ग्राम पंचायतों से आई धातु किस तरह और कितनी उपयोग हुई, इसका कोई साफ रिकॉर्ड प्रशासन के पास नहीं है। बताया जा रहा है कि चोरी गई सामग्री की कीमत लाखों में बताई जा रही है।
प्रशासनिक लापरवाही से हुई चोरी
वहीं, अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रदीप ठाकुर ने कहा कि एकात्मधाम परियोजना में शुरू से पारदर्शिता की कमी रही है। यह चोरी भी प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। घटना के बाद धार्मिक संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने उच्चस्तरीय जांच की मांग तेज कर दी है।
घटना के बाद लोगों में रोष
घटना के बाद ओंकारेश्वर में लोगों में काफी नाराजगी देखी गई। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से जवाब मांगा है कि श्रद्धालुओं द्वारा समर्पित पवित्र धातुओं की सुरक्षा में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई। ग्रामीणों ने खुद ही कुछ बोरे जंगल में पड़ा पाए और महिलाओं को उन्हें उठाते देखा। पूछताछ की तो वह बोरे वहीं छोड़ भाग गईं।
दोषियों की तलाश कर रही पुलिस
इसके बाद पुलिस ने मोर्चा संभाला और बचे हुए बोरों को आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास को सौंप दिया। अब इस चोरी के मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच तेज कर दी है। साथ ही दोषियों की तलाश शुरू कर दी है। प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं कि इतने बड़े और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं थे।
धार्मिक व सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि परियोजना में हुई इस चोरी की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच हो। साथ ही दोषियों को जल्द से जल्द कड़ी सजा दिलाई जाए, ताकि आगे से ऐसा हादसा न हो।