RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई होने वाली एक और दवा अमानक पाई गई है। ओफ्लोक्सासीन-ऑर्निडाजोल कॉम्बिनेशन की दवा में फंगस लगने की शिकायत मिली थी। इसके बाद इसकी जांच कराई गई, जिसमें फंगस की पुष्टि हो गई है। इसके बाद CGMSC ने पूरे प्रदेश में इसके इस्तेमाल पर तत्काल रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया है।

बता दें कि यह दवा डायरिया जैसी बीमारी में इस्तेमाल होती है। सीजीएमएससी को इसकी सप्लाई CMG बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड ने की थी। जिसकी एक्सपायरी 2026 में मई महीने में होने वाली थी। सीजीएमएससी ने प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज के सुपरीटेंडेंड, सभी सिविल सर्जन, सीएमएचओ को पत्र लिखकर इस पर तुरंत रोक लगाने को कहा है। यह पहली बार नहीं है कि CGMSC सप्लाई की कोई दवा अमानक पाई गई है। इसके पहले कई दवा अमानक मिलने के बाद उसके इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है।

इसके पहले बीते दिन मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में कफ सिरप मामले में कई बच्चों की मौत होने के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए खांसी की सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके तहत 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की कफ सिरप नहीं दी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी जिलों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि वे इस प्रतिबंध का कड़ाई से पालन कराएं। यह फैसला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार लिया गया है।

बता दें कि मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल में जहरीले कफ सिरप कोल्ड्रिफ से अब तक 16 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस घटना को लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक हलचल मची हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने रविवार को कफ सिरप से मौत के मामलों को लेकर राज्यों से हाईलेवल मीटिंग की। उस दौरान उन्होंने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि दवा बनाने के नियम का पालन करवाएं।

बैठक में तय हुआ कि 19 दवा कंपनियों की स्पेशल जांच होगी, निगरानी बढ़ाई जाएगी और राज्यों के बीच मदद और जानकारी का आदान-प्रदान मजबूत होगा। डॉ. राजीव बहल ने कहा कि बच्चों को बिना जरूरत खांसी का सिरप नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इनके फायदे कम और खतरे ज्यादा होते हैं। इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने भी दो साल तक के बच्चों के लिए खांसी की सिरप पर बैन लगा दिया है।
