AHMDABAAD NEWS. गुजरात से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहाँ एक शख्स ने अपना घर 67 लाख रुपये में बेच दिया, लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में महज 1690 रुपये की आय दिखाई। इतना ही नहीं, उन्होंने 8.7 लाख रुपये का लॉन्ग-टर्म कैपिटल लॉस भी क्लेम किया। आयकर विभाग को मामला संदिग्ध लगा और नोटिस जारी कर दिया। मामला बढ़ते-बढ़ते अहमदाबाद ITAT (इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल) तक पहुंचा, और आखिरकार टैक्सपेयर को राहत मिल गई।
मामला शुरू कैसे हुआ?
16 जनवरी 2012 को दिलीप (बदला हुआ नाम) और पांच अन्य ने एक मकान बेचा। बिक्री मूल्य दस्तावेजों में 41 लाख रुपये दिखाया गया था। जबकि स्टाम्प ड्यूटी वैल्यू 67 लाख रुपये थी। उस समय ITR दाखिल नहीं किया गया। बाद में 2019 में आयकर विभाग ने धारा 147 (पुनर्मूल्यांकन) के तहत कार्रवाई शुरू की। इसके बाद दिलीप ने ITR फाइल कर आय 1690 रुपये और 8.7 लाख का कैपिटल लॉस दिखाया। साथ ही दावा किया कि नया घर खरीदने पर उन्होंने सेक्शन 54 के तहत छूट ली है।
टैक्स विभाग की आपत्तियाँ
घर सुधार खर्च – दिलीप ने 15.99 लाख रुपये रेनोवेशन पर खर्च बताए। सब नकद में हुए थे और सबूत सिर्फ ठेकेदार की पर्चियां थीं। विभाग ने इसे खारिज कर दिया।
कम बिक्री मूल्य – 41 लाख की बिक्री दिखाई गई, जबकि सरकारी वैल्यू 67 लाख थी। अफसरों ने सेक्शन 50C लगाकर स्टाम्प वैल्यू को ही मान्य माना।
नए घर में निवेश – नया घर पत्नी के साथ जॉइंट नेम में खरीदा गया। अफसरों ने मान लिया कि 50-50 हिस्सेदारी है, जबकि दिलीप ने दावा किया कि योगदान 2:1 अनुपात में हुआ है।
इन आधारों पर विभाग ने कुल 15.99 लाख रुपये का LTCG (लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन) निकालकर टैक्स जोड़ा।
अपील और ITAT का फैसला
पहले दिलीप ने CIT (A) में अपील की, जहाँ आंशिक राहत मिली और कैपिटल गेन घटाकर 9 लाख रुपये कर दिया गया। मगर संतुष्ट न होकर दिलीप ITAT अहमदाबाद पहुंचे।
25 अगस्त 2025 को ITAT ने उनके पक्ष में अहम फैसला सुना दिया।
सेक्शन 54 की छूट – नया घर पति-पत्नी ने मिलकर खरीदा और वास्तविक निवेश का अनुपात 2:1 था। एफिडेविट और सबूत सही पाए गए, इसलिए छूट भी उसी अनुपात में दी जाएगी।
कैश में सुधार खर्च मान्य – ITAT ने माना कि 20 साल पुराने कामों में बैंक रिकॉर्ड न होना स्वाभाविक है। ठेकेदार की पर्चियां और वर्क डिटेल पर्याप्त सबूत हैं। इसलिए इंडेक्स्ड कॉस्ट ऑफ इम्प्रूवमेंट मान्य होगी।
स्टाम्प वैल्यू बनाम सेल प्राइस – भले ही सेक्शन 50C लागू होता है, लेकिन राहत सुधार खर्च और निवेश अनुपात पर आधारित होगी।
टैक्स विशेषज्ञों की राय
CA सुरेश सुराना ने कहा कि यह केस दिखाता है कि पुराने नकद खर्च भी बिल और डिटेल होने पर मान्य हो सकते हैं। वहीं CA मिहिर तन्ना ने कहा कि संयुक्त संपत्ति में टैक्स छूट हमेशा 50-50 नहीं होती, बल्कि वास्तविक निवेश अनुपात ही मायने रखता है।
ऐसे में टैक्सपेयर के लिए सबक यह है कि नकद खर्च हो, फिर भी बिल और सबूत सुरक्षित रखें। संयुक्त संपत्ति में निवेश अनुपात स्पष्ट करें। समय पर ITR फाइल करें, वरना विभाग कई साल बाद भी नोटिस भेज सकता है।


































