RAIPUR NEWS. 24 घंटे सिर्फ काम करवाया जाता था। थककर कुछ देर बैठ जाओ तो संचालक आकर मारपीट करते थे। पैसे मांगे तो गाली गलौज देकर भगा देते थे। हमें बताया कुछ और गया था, लाकर यहां कुछ और ही काम करवा रहे थे। 1 बार खाना देते थे। समय निकल गया तो वो भी नसीब नहीं होता था। हमसे जानवरों जैसा बर्ताव किया जाता था। एक टाइम खाना देते थे और सभी से किसी भी समय उठाकर काम करवाते थे। काम ना करो तो कंपनी के मालिक डंडों और बेल्ट से मारते थे। मेरे साथ मेरी मां, भाई और बच्चे भी हैं, उनके सामने मारपीट करते थे। ये दर्द उन मजदूर बंधकों का है, तो जो अपना घर-राज्य छोड़कर छत्तीसगढ़ मजदूरी करने आए थे।
दरअसल, रायपुर जिले के खरोरा स्थित एक मशरूम कंपनी के संचालकों ने मप्र-यूपी के मजदूरों को 4-5 माह से बंधक बनाकर रखा था। यहां से किसी तरह बाहर निकले और शिकायत की, जिसके बाद महिला बाल विकास विभाग ने कुल 97 लोगों को कंपनी से रेस्क्यू किया। इसके बाद मजदूरी के पैसे दिलवाकर उन्हें वापस घर रवाना किया गया। मजदूरों की शिकायत के अनुसार जौनपुर के रवि ने बताया था कि वह करीब 1 माह से उस फैक्ट्री में काम कर रहा है। पैसे मांगने पर मारपीट भी करते हैं।
जौनपुर निवासी विपिन तिवारी, विकास तिवारी और नितेश तिवारी जो अपने आप को मशरूम कंपनी के संचालक कहते थे, उन्होंने गोलू, उसकी बहन समेत 8 लोगों को यह बोलकर लाया था कि यहां ज्यादा मेहनत वाला काम नहीं है, सिर्फ खाना बनाना है और घरेलू काम करना है। जब वे कंपनी पहुंचे तो उनसे कभी भी किसी भी समय मशरूम लगाने, काटने, सामान उठवाने, मशीन चलवाने आदि बेहद कठिन काम करवाता था। रात को नहीं उठते तो उनसे मारपीट की जाती थी।
जौनपुर की ही सीता और सोनू ने बताया कि काम ज्यादा कराया जाता है और मारपीट भी करते हैं। सभी का मोबाइल और पहचान पत्र आदि भी छीन लिया गया था। काम के बाद पैसे की मांग की जाती थी तो मारपीट करने लगते थे। 2 जुलाई को किसी तरह बचकर भागे और जैसे तैसे पुलिस के पास पहुंचे। रवि ने बताया कि, उसकी बहन लक्ष्मीना, रिनका, सीमा, बबलू, सुनील और दो अबोध बच्चों समेत अन्य कई लोगों को वहां बंधक बनाकर रखा गया है।
कंपनी से पैसा दिलवाकर भेजा गांव घर
महिला बाल विकास विभाग रायपुर डीपीओ शैल ठाकुर ने बताया कि खरोरा स्थित उमाश्री राइस मिल के अंदर मोजो मशरूम फैक्ट्री संचालित है। हमें सूचना मिली थी कि यहां यूपी और एमपी के कुछ मजदूरों को बंधक बनाकर रखा गया है। टीम ने पुलिस की मदद से वहां छापा मारा। देखा कि वहां सैकडों मजदूर अपने बच्चों के साथ दयनीय स्थिति में रह रहे थे। सभी को रेस्क्यू कर इंडोर स्टेडियम में लाया गया। कंपनी के संचालकों को भी यहां बुलाकर उनसे मजदूरों के पैसे दिलाए गए। सभी मजदूरों को उनके घर भेज दिया जाएगा।