RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ में एक बार फिर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) सक्रिय हो गई है। जानकारी के अनुसार भारतमाला प्रोजेक्ट में गड़बड़ी पर ईओडब्ल्यू ने आज यानी 25 अप्रैल को नया रायपुर, अभनपुर, दुर्ग-भिलाई, आरंग सहित प्रदेश के अन्य जिलों में करीब 20 ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई चल रही है। इस दौरान जांच एजेंसी के अफसरों ने SDM, तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षक समेत राजस्व विभाग के कई अधिकारियों के ठिकानों पर जांच कर रहे हैं।
इस दौरान रायपुर में तात्कालिक SDM निर्भय साहू और तहसीलदार शशिकांत कुर्रे के घर पर दस्तावेजों की जांच चल रही है। वहीं बिलासपुर में अतिरिक्त तहसीलदार लखेश्वर राम के घर 6 से अधिक अफसर जांच कर रहे हैं। इस दौरान परिजन जांच का विरोध करते रहे। जांच के दौरान बरामद दस्तावेजों की पड़ताल की जा रही है।
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इस मामले में हुई गड़बड़ी की शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लगभग 43 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि हासिल कर ली. लेकिन विस्तृत जांच में यह आंकड़ा 220 करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंच गया है। अब तक 164 करोड़ रुपए के संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड भी जांच एजेंसी को मिल चुका है।
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इस मामले की गंभीरता को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर CBI जांच की मांग की है। इस घोटाले को लेकर चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी मुद्दा उठाया था। इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपने का निर्णय लिया गया था।
इससे पहले भारतमाला प्रोजेक्ट में सामने आए कथित मुआवजा घोटाले को लेकर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को चिट्ठी भेजकर शिकायत की थी। पीएमओ ने महंत की शिकायत पर संज्ञान लिया। खुद डॉ. महंत ने इसकी पुष्टि की थी। उन्होंने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र प्राप्त हुआ है। उम्मीद है कि केंद्र सरकार जल्द ही इस मामले की CBI जांच के लिए निर्णय लेगी।
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ये है पूरा मामला
भारत माला प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण मामले में 43 करोड़ का घोटाला हुआ है। जमीन को टुकड़ों में बांटकर NHAI को 78 करोड़ का भुगतान दिखाया गया। SDM, पटवारी और भू-माफिया के सिंडिकेट ने बैक डेट पर दस्तावेज बनाकर घोटाले को अंजाम दिया। कुछ दिनो पहले रायपुर-विशाखापट्टनम तक बन रही (वाइजैग) इकोनॉमिक कॉरिडोर में घोटाले केस में कोरबा डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को सस्पेंड किया गया था।
इसके पहले जगदलपुर निगम कमिश्नर निर्भय साहू को सस्पेंड किया गया था। शशिकांत और निर्भय पर जांच रिपोर्ट तैयार होने के 6 महीने बाद कार्रवाई हुई है। निर्भय कुमार साहू सहित पांच अधिकारी–कर्मचारियों पर 43 करोड़ 18 लाख रुपए से अधिक राशि की गड़बड़ी का आरोप है।