मुंबई। शेयर बाजार में पिछले चार दिनों में भारी गिरावट देखने को मिली है। सेंसेक्स में 2500 अंक और निफ्टी में 700 अंक की गिरावट देखने के मिली है। शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि रुपए के कमजोर होने और एफआईआई के रुख में बदलाव से भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशक पैसे निकाल रहे हैं। साथ ही कई कंपनियों का प्रदर्शन भी उम्मीदों पर बेहतर नहीं होने की वजह से इसी की वजह से शेयर बाजार में लगातार गिरावट देखी जा रही है।
निवेशकों के 8 लाख करोड़ रुपए इस गिरावट की वजह से बाजार में डूब गए। नैस्डैक के टेक दिग्गजों में गिरावट के साथ अमेरिकी बाजार लगातार पांचवें दिन कमजोर रहे। इसका असर भी भारतीय शेयर बाजार में टेक सेक्टर पर भी पड़ रहा है। उधर, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक बिक्री कर रहे हैं। 20 जनवरी 2022 तक एफआईआई 12,415.14 करोड़ रुपए के शुद्ध विक्रेता बने रहे, जबकि उन्होंने 21 जनवरी 2022 तक 4,500 करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री की।
बढ़ते वैश्विक बॉन्ड प्रतिफल के बीच विदेशी निवेशक महंगे बाजारों से बाहर निकल कर जापान और यूरोप जैसे आकर्षक मूल्य बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं। कुल मिलाकर, विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर से अब तक एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री की है।
वैश्विक बाजार भी प्रभावित
अमेरिकी बाजारों में गिरावट का असर भारतीय बाजार पर भी दिख रहा है। गुरुवार को लगातार पांचवें दिन अमेरिकी बाजार में भी कमजोरी देखने को मिली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद से वैश्विक बॉन्ड प्रतिफल में उछाल के कारण निवेशक जोखिम लेने से हिचकिचा रहे हैं। ऐसे में निवेशकों को भी सलाह दी जा रही है कि वे बाजार में अनिश्चितता के समय तक कम जोखिम वाली संपत्तियों को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करें।
भारतीय कंपनियों का खराब प्रदर्शन
दिसंबर में समाप्त तिमाही के लिए भारतीय कंपनियों की अब तक की कमाई भारी दबाव के संकेत दे रही है। जानी-मानी कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ा है। हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी कंपनियों की शुरुआती टिप्पणियों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दबाव का संकेत दिया। बजाज फाइनेंस ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि शहरी क्षेत्रों में कम आय वाले उपभोक्ता भी महामारी से प्रभावित हुए हैं।