RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय राज्योत्सव के समापन तथा राज्य अलंकरण समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि विकसित भारत के निर्माण के लिए सबकी भागीदारी की जरूरत है। इसमें छत्तीसगढ़ का योगदान बढ़चढ़कर होगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ देश के लिए एक मिसाल, यहां मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में विकास के नये कीर्तिमान बन रहे हैं। इस मौके पर उन्होंने राज्य अलंकरण से सम्मानित सभी विभूतियों कोे बधाई देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के 36 सम्मान, जिन्हें देखकर मुझे ऊर्जा मिली है।
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि जब शताब्दी ने पलटी खाई तो छत्तीसगढ़ का उदय हुआ, ये यात्रा यहां तक आ गई है। इसके लिए बहुत शुभकामनाएं देता हूँ, छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, पुरानी कहावत है आज भी कानों में गूंजती है। आप सभी इस कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। इस समारोह में आकर मेरा मन गौरव से भर गया है। छत्तीसगढ़ की पावन धरती समृद्ध सांस्कृतिक जीवन का दस्तावेज है। राष्ट्र के प्रति समर्पण और भारतीयता हमारी पहचान है। वर्ष 2000 में इस राज्य को विशिष्ट पहचान मिली। पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी को इस अवसर पर याद न करें तो बड़ी चूक होगी। उनकी याद सदैव आती है। राष्ट्रहित पर वे हमेशा अटल और मानवीय भावनाएं के विषय में बहुत कोमल थे। राजनीति में उन्होंने ऐसी सर्जरी की कि किसी को पीड़ा नहीं हुई और तीन राज्य बनाए, मैं उन्हें नमन करता हूँ।
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आपने पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री को बुलाकर एक बड़ा मापदंड हासिल किया, इसके लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बधाई के पात्र हैं। अटल जी ने जो कारीगरी की, उसमें कोई दर्द नहीं था। भाई चारा था। अगले साल छत्तीसगढ़ अपने स्वर्ण युग में प्रवेश करेगा इसका सुखद समन्वय भारत के अमृत काल के साथ हो रहा है। हमें अपनी गौरवमयी विरासत को नहीं भूलना चाहिए। यह मौका है हमारे महापुरुषों को याद करने का। आज जब हम अमृतकाल मना रहे हैं। मुझे और आपको गर्व है कि जिन लोगों ने अपना बलिदान किया, उन्हें दूर दूर जाकर हम उन्हें नमन कर रहे हैं। उनके समक्ष नतमस्तक हो रहे हैं। भगवान बिरसा मुंडा, शहीद वीरनारायण सिंह जैसे लोगों ने विषम हालात में स्वतंत्रता की ज्योति को जलाये रखा, हम उन्हें हमेशा स्मरण करते हैं और इसके लिए जनजातीय दिवस मना रहे हैं।
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इन महापुरुषों ने निःस्वार्थ भाव से समाज की सेवा की। इस मौके पर आपको मैं चिंतन और मंथन के लिए भी आग्रह करूंगा। सेवा निःस्वार्थ होना चाहिए, इसमें कोई स्वार्थ नहीं होना चाहिए। निःस्वार्थ सेवा के नाम पर या आड़ पर हमारी श्रद्धा को परिवर्तन करने का प्रयास किया जा रहा है। हमारी संस्कृति हजारों साल पुरानी है उस पर प्रहार किया जा रहा है। इस पर हमें सजग होना चाहिए। यह धनबल के आधार पर हो रहा है। भोलेपन के आधार पर हो रहा है। भारत की आत्मा को जीवंत रखने के लिए ऐसी ताकतों को कुचलने की आवश्यकता है। आपसे आग्रह है कि इनसे सचेत रहिये। इन प्रयत्नों में खासतौर पर हमारे आदिवासियों भाइयों को निशाना बनाया जाता है। हमारे भारत की संस्कृति सबको समेटने वाली संस्कृति है। इस विशेषता को बरकरार रखना है। इस राज्य के युवाओं के लिए एक और चिंता का कारण है जिस पर यह सरकार काम कर रही है।