RAIPUR. सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के खिलाफ दलित-आदिवासी संगठनों ने बुधवार को 14 घंटे केे लिए भारत बंद का आह्वान किया है। नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस नामक संगठन ने कोर्ट के सुझाव को दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है। संगठन द्वारा सरकारी नौकरियों में पदस्थ एससी, एसटी और ओबीसी कर्मचारियों का जातिगत आंकड़ा जारी करने और भारतीय न्यायिक सेवा के जरिए न्यायिक अधिकारी और जज नियुक्त करने की मांग रखी है।
इसके लिए पूरे छत्तीसगढ़ में संबंधित संगठनों ने बुधवार को बंद रखने का मंगलवार को दिनभर प्रचार किया है। इस बंद को कामयाब बनाने के लिए प्रदेश में इन वर्गों से जुड़े सैकड़ों कर्मचारियों ने आकस्मिक अवकाश लेते हुए भारत बंद के समर्थन की घोषणा कर दी है। हालांकि छत्तीसगढ़ में व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन चैम्बर ऑफ कामर्स ने मंगलवार की शाम एक बयान जारी कर बंद को समर्थन नहीं देने की घोषणा कर दी है।
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इधर, छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ ने भी अधिकृत तौर पर कहा कि बुधवार को प्रदेशभर में बसों का संचालन बंद नहीं किया जा रहा है, अर्थात बसें भी चलेंगी। छत्तीसगढ़ चैम्बर के अध्यक्ष अमर पारवानी और महामंत्री अजय भसीन ने देर शाम एक बयान में कहा कि छत्तीसगढ़िया सर्व समाज महासंघ एवं सर्व समाज के पदाधिकारी बंद को लेकर समर्थन मांगने के लिए चैम्बर पदाधिकारियों से मिले थे। इसी दौरान चैम्बर पदाधिकारियों ने बैठक में राष्ट्रीय व्यापारिक संगठनों से बात की, तो वहां से स्पष्ट हुआ कि कि बंद को समर्थन नहीं दिया गया है।
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इस दौरान लंबी बातचीत के बाद चैम्बर ने तय किया कि छोटे व्यापारियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पूर्व सूचना के बिना समर्थन देना संभव नहीं है। बाद में चैम्बर ने बंद को समर्थन नहीं देने का ऐलान कर दिया। इस बीच, छत्तीसगढ़ यातायात महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सैय्यद अनवर अली ने स्पष्ट किया कि उनके संघ की ओर से भी बंद को समर्थन नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि बंद के आयोजकों ने उनके संघ से समर्थन के लिए संपर्क ही नहीं किया है, इसलिए बुधवार को प्रदेशभर में बसों का संचालन सामान्य तौर पर होगा, यानी बसें चलती रहेंगी।