RAIPUR. क्या आप जानते हैं कि अपने ही देश में एक जगह ऐसी है जहां युवाओं को शादी से पहले रोमांस करने, फिजिकल रिलेशन बनाने की आजादी है. यह जगह छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर जिले में है। यहां मुरिया आदिवासी रहते हैं, जो गोंड जनजाति में ही आते हैं। इनके रीति-रिवाज और परंपराएं काफी अलग हैं, जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
आमतौर पर हमारे देश में फिजिकल रिलेशन के बारे में सार्वजनिक रूप से बोलना एक बहुत बड़ी गलती मानी जाती है। मगर, इन आदिवासी जनजातियों में यह आम है। यहां जवान लड़के-लड़कियों में फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए आजादी दी जाती है। इतना ही नहीं उसे बढ़ावा भी दिया जाता है।
अपनी मर्जी से अपना साथी चुनती है लड़की
दरअसल, इस जनजाति में घोटुल नाम की एक परंपरा है. घोटुल का मतलब होता है बांस के बड़े खंभों से बना ढांचा। ये शहरी क्षेत्रों में नाइट क्लबों की तरह हैं। यहां मुरिया जनजाति के नौजवान डांस सीखते हैं, गाने गाते हैं। युवक-युवतियां यहां एक-दूसरे को जानने और मौज-मस्ती करने आते हैं।
10 साल से ऊपर का कोई भी बच्चा घोटुल जा सकता है। अगर न जाए तो माता-पिता खुद उसे भेजते हैं। यहां लड़की हर रात एक नौजवान को तलाशती है। उसके साथ रोमांस करती है। उस पर कोई दबाव नहीं होता। वह अपनी मर्जी से अपना साथी चुनती है। उन्हें इसकी आजादी होती है। वैसे तो प्रेग्नेंसी से बचने के लिए लड़कियां हर्बल कॉन्ट्रासेप्टिव पीती हैं। फिर भी बच्चा पैदा हो गया और पता नहीं चल पाया कि उसका पिता कौन है, तो पूरा गांव बच्चे को अपना लेता है।
कंघे से होती पार्टनर की पहचान
पार्टनर तलाशने का भी एक खास प्रॉसेस है. घोटुल में पहुंचे लड़के अपनी पसंद की लड़कियों को बांस से बने कंघे देते हैं। इन्हें सिर में लगाया जाता है। अगर युवती को यह पसंद आ गया, तो वह अपनी टीम में रख लेती है, नहीं तो कंघा हटा दिया जाता है। बालों में कंघा लगे होने का मतलब कि युवती को वह लड़का पसंद है। अब वे साथ रह सकते हैं और जो चाहें कर सकते हैं।
कुछ महीनों बाद भी अगर ये दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं, तो दोनों परिवारों के बड़े-बुजुर्ग इनकी शादी करा देते हैं। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने प्रेग्नेंसी में शादी की। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस परंपरा की वजह से आदिवासी इलाके में यौन उत्पीड़न नहीं होता। अभी तक ऐसा एक भी मामला यहां दर्ज नहीं हुआ है।