KANKER. जिले के कोयलीबेड़ा इलाके के किसान खासे परेशान हैं, जो उस वक्त नजर आया जब वहां के 68 गांवों से आए किसानों ने जिला मुख्यालय में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इन किसानों के पास खेतों का पट्टा नहीं है जिससे वे समितियों में धान नहीं बेच पा रहे हैं। जिनके पास है, वे सहकारी बैंक की शाखा नहीं होने से धान बेचने के बाद भुगतान पाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। इन्हीं मांगों को लेकर उन्होंने जमकर प्रदर्शन किया।
बस्तर के किसान अभी जिस संकट से गुजर रहे हैं उसकी शुरुआत इतिहास में छिपा हुआ है। दरअसल, इस वनांचल में पहले किसान अस्थायी खेती किया करते थे और अधिकांश जंगल में आग लगाकर कोयले व राख पर फसल उगाते थे। इन सबके चलते किसी के पास भी खुद की जमीन नहीं है। बाद में उन्होंने खेती का आधुनिक तौर-तरीका तो सीख लिया पर खुद की जमीन नहीं होने से जिस जमीन पर वे बरसों से काबिज हैं, सरकार के हिसाब से वे अब भी कब्जाधारी ही हैं।
कोयलीबेड़ा क्षेत्र के किसानों की समस्या भी उसी से जुड़ी हुई है। ये किसान पीढ़ी-दर-पीढ़ी अब एक ही जमीन पर खेती कर रहे हैं लेकिन न तो जमीन उनके नाम हुई है और न सरकार उन्हें पट्टा दे रही है। अब जब किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समितियों के माध्यम से धान खरीदी की जा रही है तो इन किसानों को लौटा दिया जा रहा है। इनके अलावा भी कई समस्याएं हैं। वे मांग कर रहे हैं कि जिनके पास पट्टा नहीं है, उनके लिए ग्रामसभा से प्रस्ताव पास करा बिक्री की अनुमति प्रदान की जाए।

किसानों का कलेक्टर के नाम ज्ञापन