BHILAI. भिलाई-चरोदा के दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर परिसर में लक्ष्मी-नारायण मंदिर में मां लक्ष्मी के आठ रूपों के दर्शन होते हैं। मान्यता है कि दीवाली की रात मां लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा करने पर माता की कृपा हमेशा पर बनी रहती है। साथ ही सुख-समृद्धि मिलती है।

किस स्वरूप से कौन से कामना होती पूरी
मां लक्ष्मी के हर स्वरूप की महिमा अपरमपार है। मां लक्ष्मी का हर रूप विभिन्न कामनाओं को पूरा करता है। इनके हर रूप की पूजा करने से व्यक्ति को असीम सम्पदा और धन की प्राप्ति होती है।
1. आदि लक्ष्मी या महालक्ष्मी : सबसे पहला अवतार है आदि लक्ष्मी या महालक्ष्मी। जीव-जंतुओं को प्राण प्रदान करने वाली आदि लक्ष्मी ही हैं। इनसे जीवन की उत्पत्ति हुई है। आदि लक्ष्मी अपने भक्त को मोक्ष की प्राप्ति कराती हैं।
2. धन लक्ष्मी : मां लक्ष्मी का दूसरा स्वरूप है धन लक्ष्मी जो व्यक्ति को धन और वैभव से परिपूर्ण कराती हैं। इनके पास धन से भरा कलश मौजूद है। इनके एक हाथ में कमल है। इनकी पूजा से आर्थिक परेशानियों और कर्ज से मुक्ति दिलाती है।

3. धन्य लक्ष्मी : धन्य का अर्थ अनाज होता है। धन्य लक्ष्मी अनाज की दात्री हैं। इन्हें माता अन्नपूर्णा का स्वरूप भी माना जाता है। धन्य लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है कि कभी-भी अन्न की बर्बादी न करें।
4. गज लक्ष्मी : कृषि और उर्वरता की देवी भी कहा गया है। इन्हें राजलक्ष्मी भी कहा गया है क्योंकि ये राज को समृद्धि प्रदान कराती हैं। जो लोग कृषिक्षेत्र से जुड़े हैं और जिनकी संतान की इ’छा है, उन्हें इनकी पूजा करनी चाहिए।
5. संतान लक्ष्मी : संतान लक्ष्मी, मां लक्ष्मी का पांचवा स्वरूप हैं। यह ब’चों और अपने भक्तों को लम्बी उम्र प्रदान करने का रूप है। यह अपने भक्तों की रक्षा अपने संतान जैसे करती हैं। इनकी पूजा करने से घर में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।







































