TIRANDAJ DESK. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बाद महाकालेश्वर कॉरिडोर का काम जोर-शोर से चल रहा है। यहां भी काशी की ही तरह भव्य और दिव्य कॉरिडोर आकार ले रहा है। लेकिन महाकालेश्वर कॉरिडोर काशी से चार गुने बढ़े क्षेत्र में विकसित हो रहा है। यहां भगवान शिव के एक सौ आठ रूपों सहित शिव परिवार के दर्शन होंगे। इतना ही नहीं अन्य देवी-देवताओं की दो सौ से अधिक मूर्तियां स्थापित की जा रही है। इसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को शुभारंभ करेंगे।

उत्तरप्रदेश स्थित दुनिया की प्राचीनतम नगरी बनारस, काशी या वाराणसी के बाद मध्यप्रदेश के उज्जैन में भगवान शिव को समर्पित कॉरिडोर बनाया जा रहा है। वाराणसी की ही तरह उज्जैन को भी भगवान भोलेनाथ की प्रिय नगरों में गिना जाता है। दोनों ही शहरों में दुनिया में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक-एक स्थित है।

काशी से चार गुना बढ़ा होगा महाकालेश्वर कॉरिडोर
उत्तरप्रदेश के वाराणसी में बने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का क्षेत्र पांच हेक्टेयर में फैला हुआ है। जबकि महाकालेश्वर कॉरिडोर का आकार लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तारित होगा। फिलहाल महाकालेश्वर कॉरिडोर का क्षेत्र दो हेक्टेयर में है। वहीं कॉरिडोर बन जाने के बाद इसका विस्तार 10 गुना बढ़कर 20 हेक्टेयर में फैल जाएगा। विस्तारिकरण का कार्य लगभग 750 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है।
दोनों ही जगह स्थित है ज्योतिर्लिंग
उत्तरप्रदेश के वाराणसी में द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ‘काशी विश्वनाथ जी’ स्थित है। वाराणसी में पवित्र नदी गंगा जी भी है। साथ ही यहां छोटे-बड़े हजारों की संख्या में मंदिर है और धार्मिक लिहाज से वाराणसी हिन्दू धर्म के लिए पवित्र नगरी है। वहीं दूसरी ओर क्षिप्रा नदी के किनारे बसे मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है। महाकालेश्वर जी की दिव्यता और भव्यता दुनिया भर में लोकप्रिय है। यहां शिवभक्त महाकाल जी के दर्शन करने उत्साहित रहते है। साथ ही द्वादश (बारह) ज्योतिर्लिंग में एकमात्र महाकालेश्वर ही दक्षिणमुखी है और जानकार इसे दुनिया का केंद्रबिंदु बताते है।

108 रूप में दिखेंगे भगवान शिव
महाकालेश्वर कॉरिडोर में बाबा भोलेनाथ के एक सौ आठ रूपों के दर्शन होंगे। साथ ही एक सौ आठ खंभों पर शिव परिवार के विभिन्न की विभिन्न कथाओं को उल्लेखित, चित्रित और प्रदर्शित किया जाएगा। दूसरी ओर अन्य देवी-देवताओं के दो सौ से अधिक प्रतिमाएं भी यहां विराजित की जाएगी।
‘महाकाल लोक’ के नाम से जाना जाएगा
बीते दिनों मध्यप्रदेश सरकार के केबिनेट की बैठक उज्जैन में हुई। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में 11 अक्टूबर को उज्जैन आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन की तैयारियों की समीक्षा की गई। इस दौरान महाकालेश्वर कॉरिडोर परिसर का नाम ‘महाकाल लोक’ करने पर सहमति बनी। पखवाड़ें भर चले विचार-मंथन के बाद ‘महाकाल लोक’ नामकरण किया गया। इसमें साधु, संतों, विद्वानों, संस्कृतिविदों और आम जनों से मध्यप्रदेश सरकार ने लंबा विचार-विमर्श किया। नामकरण करने से पूर्व शास्त्र, संस्कृति, लोक-जीवन, भक्ति, आस्था और श्रद्धा की कसौटी पर खरा उतने का भरपूर ख्याल रखा गया।
क्यूआर कोड स्कैन करें, ऑडियो में मिलेगी शिव महिमा
‘महाकाल लोक’ की सबसे खास बात यह है कि यहां सभी दो सौ से अधिक मूर्तियों में क्यूआर स्कैनर लगाया जाएगा। स्कैनर को स्कैन करने के बाद आपको हरेक मूर्तियों और म्यूरल्स (भित्ति चित्रों) से जुड़ी वर्णित कथाएं, कालखंड, इतिहास व अन्य पौराणिक जानकारियों का संग्रह का ब्यौरा ऑडियो फॉर्मेट में मिल जाएगा।
दुनिया के बड़े धार्मिक-पर्यटन के रूप में उभरेगा उज्जैन
मध्यप्रदेश की प्राचीन नगरी उज्जैन हरसिद्धि माता मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही उज्जैन कई हस्तियों की कर्म और जन्म स्थली है। मध्य भारत के सबसे बड़े व्यापारिक और औद्योगिक शहर इंदौर से लगभग 40 किलोमीटर के दायरे में उज्जैन बसा हुआ है। कई पराणिक कथाओं में उज्जैन का उल्लेख है। यहां आकार ले रहे महाकालेश्वर कॉरिडोर के बाद इसके दुनिया भर में बड़े धार्मिक और पर्यटन केन्द्र रूप में उभरने की उम्मीद जताई जा रही है।
दिव्यांग-बुजुर्ग भक्तों के लिए विशेष सुविधा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उज्जैन में ‘महाकाल लोक’ का 11 अक्टूबर को शुभारंभ करेंगे। इसे भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए 12 अक्टूबर से खोल दिया जाएगा। बड़े भव्य कॉरिडोर में घूमने आए बुजुर्ग और दिव्यांग दर्शनार्थियों के लिए विशेष तौर पर ई-रिक्शा चलाई जाएगी, ताकि वे दर्शन सुलभता से कर पाए। दूसरी ओर कॉरिडोर परिसर में सभी स्थानों पर संकेतक, दिशा सूचक भी उकेरे जाएंगे ताकि आगंतुकों को किसी भी प्रकार से असुविधा न हो।



































