BILASPUR. जगह बिलासपुर का जोनल रेलवे स्टेशन, राहत और बचाव कार्य करने वाले विभागों के कर्मचारी अपने-अपने रूटीन के कामों में जुटे हुए। फिर अचानक एक के बाद एक पांच सायरन बजे। ये तब बजता है जब जब कोई बड़ा रेल हादसा होता है। सभी मुस्तैद हो जाते हैं और फिर पता चलता है कि टाटा-इतवारी एक्सप्रेस में बम ब्लास्ट हो गया है और चार यात्री बोगियों में फंसे हुए हैं।

पूरी टीम स्टेशन से लगे एआरटी साइडिंग पहुंच गई। टीम तत्काल जुट गई और चारों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। जी हां, ऐसा हुआ भी और स्टेशन से बाहर कहीं हड़कंप भी नहीं मचा, क्योंकि यह महज एक माकड्रिल था। लेकिन, जिस तरह से चार लोगों को बचाया गया उसमें सुरक्षा बलों व आपदा प्रबंधन टीमों की असल परख की गई।
रेलवे की ओर से इस तरह का अभ्यास जरूरी रहता है। ट्रेनों में कब कोई बड़ी दुर्घटना हो जाए यह कोई नहीं जानता। वैसे हालात में सभी विभागों की टीमें तत्पर हैं तो हादसे में घायल यात्रियों की जान बचाई जा सकती है। हालांकि यह माकड्रिल भी अन्य माकड्रिल से अलग था क्योंकि इसकी पूर्व सूचना पहले ही दी जा चुकी थी। लेकिन, घटना किस तरह की होगी उस पर जानकारी नहीं दी गई थी। ऐसे में पूरा अमला तो तैयार था पर हादसे के मुताबिक आपात तैयारी और संसाधन जुटाने की परख इसमें अच्छी तरह हो गई।

इस दौरान जैसे ही मुख्य स्टेशन प्रबंधक ने इतवारी-टाटा एक्सप्रेस में बम रखने व उसके बाद ब्लास्ट होने की सूचना दी तो राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, मंडल संरक्षा विभाग, रेल आपदा प्रबंधन टीमें घटना स्थल के लिए रवाना हो गईं। इस दौरान सबसे कोच में फंसे यात्रियों को बाहर निकालने का प्रयास शुरू किया गया। तरीका बिल्कुल उसी तरह था, जब कोई दुर्घटना हो जाती तो जिसे अपनाते। पहले बचाव टीम के सदस्यों ने कोच की खिड़की तोड़ी। उसके बाद एक के बाद एक कर चारों यात्रियों को खिड़की के सहारे सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।


































