इंदौर, तीरंदाज। कालाष्टमी व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस माह यह व्रत 23 अप्रैल को मनाया जाएगा। भगवान शिव के रुद्रावतार काल भैरव रोग और भय को नष्ट करने वाले हैं। कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा की जाती है, जिन्हें काल भैरव, बाबा भैरवनाथ, महाकाल आदि नामों से जाना जाता है।
इंदौर के ज्योतिषाचार्य आचार्य पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि काल भैरव को भगवान शिव का पांचवां अवतार माना जाता है, जिनका जन्म भगवान शिव के क्रोध के रूप में हुआ था। वह मां दुर्गा के सभी शक्तिपीठों और भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों के रक्षक हैं। इन शक्तिपीठों या ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने के दौरान यदि कालभैरव की पूजा या दर्शन नहीं किए, तो यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है।
कलियुग के जाग्रत देवता हैं कालभैरव
हनुमान जी के बाद बाबा भैरवनाथ को कलियुग का जाग्रत देवता माना जाता है, जिनको शीघ्र ही प्रसन्न किया जा सकता है। भैरव चालीसा का पाठ करके व्यक्ति अपने कार्य में सफलता प्राप्त कर सकता है। इस दिन श्री भैरव यंत्र की पूजा करने से रोग, दोष और भय दूर होते हैं। भगवान काल भैरव की पूजा करने से शनि, साढ़ेसाती और ढैय्या से संबंधित दोषों में राहत मिलती है क्योंकि शनि देव के स्वामी देव काल भैरव हैं। इनकी पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
बता दें कि भगवान शिव ने यह अवतार माता सती के पिता और राजा दक्ष प्रजापति को दंड देने के लिए लिया था। मान्यता है कि काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को रोग, दोष, भय आदि से मुक्ति मिल जाती है। वहीं काल भैरव की कृपा प्राप्त करने पर व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता।
कालाष्टमी पर योग और शुभ मुहूर्त
पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 23 अप्रैल शनिवार को प्रातः 06:27 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 24 अप्रैल रविवार को प्रातः 04.29 बजे समाप्त होगी। उदयति तिथि के आधार पर 23 अप्रैल को कालाष्टमी व्रत रखा जाएगा। इस दिन त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का योग बन रहा है। इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। और आपको हर काम में सफलता मिलेगी।
इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग शाम 06:54 से शुरू होकर 24 अप्रैल को सुबह 05:47 बजे तक रहेगा। वहीं, त्रिपुष्कर योग सुबह 05:48 से 06.27 बजे तक चलेगा। ऐसे में आप सुबह से लेकर रात तक कभी भी पूजा कर सकते हैं। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.54 बजे से दोपहर 12.46 बजे तक रहेगा।
कालाष्टमी पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में घर की सफाई करें। स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें और पवित्र जल से प्रार्थना करें। सूर्य देव को जल चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा करें। इस दिन पंचामृत, दूध, दही, बिल्वपत्र, धतूरा, फल, फूल, धूप-दीप आदि से भगवान शिव के रूप में काल भैरव देव की पूजा करें। अंत में भगवान शिव की पूजा करते हुए अपनी मनोकामनाएं सामने रखें। पूरे दिन उपवास रखें। अगले दिन स्नान और पूजा करने के बाद ही व्रत खोलें।