RAIPUR NEWS. प्रसिद्ध कवि, कथाकार और उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल का 88 साल की उम्र में मंगलवार शाम को निधन हो गया है। उन्हें पहले गार्ड ऑफ ऑनर से दिया गया। इसके बाद रायपुर कलेक्टर और एसपी ने शुक्ल के बेटे शाश्वत गोपाल को तिरंगा सौंपा। इसके बाद राजकीय सम्मान के साथ शुक्ल का मारवाड़ी श्माशान घाट में अंतिम संस्कार में किया गया। उनके पार्थिव देह को सीएम साय ने भी कांधा दिया। शैलेंद्र नगर स्थित निवास से उनकी अंतिम यात्रा में मशहूर कवि कुमार विश्वास समेत हजारों लोग शामिल हुए।

बता दें कि एक महीने पहले ही उन्हें भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था। शुक्ल पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे। उनका एम्स रायपुर में इलाज चल रहा था। 6 दिसंबर को विनोद शुक्ल द्वारा लिखी गई उनकी अंतिम कविता थी ‘बत्ती मैंने पहले बुझाई, फिर तुमने बुझाई, फिर हम दोनों ने मिलकर बुझाई’। बता दें कि, साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार का चेक सौंपकर उन्हें सम्मानित किया था।

पीएम मोदी ने भी विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर दुख जताया। उन्होंने एक्स पर लिखा- ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। विनोद कुमार शुक्ल सांस लेने में तकलीफ की वजह से रायपुर के प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट थे, इसके बाद रायपुर एम्स में उनका इलाज चल रहा था।

1937 में जन्मे शुक्ल पिछले 50 साल से कर रहे थे लेखन
1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव में जन्मे विनोद कुमार शुक्ल पिछले 50 साल से लेखन कर रहे थे। विनोद कुमार शुक्ल की पहली कविता संग्रह ‘लगभग जय हिंद’ 1971 में प्रकाशित हुई थी। उनकी कहानी संग्रह पेड़ पर कमरा और महाविद्यालय भी बहुचर्चित है। विनोद शुक्ल के उपन्यास नौकर की कमीज, खिलेगा तो देखेंगे, दीवार में एक खिड़की रहती थी हिंदी के श्रेष्ठ उपन्यासों में शुमार हैं। उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ पर जाने-माने फिल्मकार मणिकौल ने एक फिल्म भी बनाई थी।

विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था। शुक्त प्राध्यापक को रोजगार के रूप में चुनकर अपना पूरा ध्यान साहित्य सृजन में लगाया था। वे हिंदी भाषा के एक साहित्यकार रहे, जिन्हें हिंदी साहित्य में उनके अनूठे और सादगी भरे लेखन के लिए जाना जाता है। हिंदी साहित्य में अद्वितीय योगदान, सृजनात्मकता और विशिष्ट लेखन शैली के लिए प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को वर्ष 2024 में 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किए गए। विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के 12वें साहित्यकार हैं, जिन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया गया।
































