NEW DELHI NEWS. ऑफिस में काम करने वाली महिलाओं को अब यौन उत्पीड़न की शिकायत के लिए अलग-अलग विभागों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में साफ कर दिया है कि यदि किसी महिला के साथ उसके वर्कप्लेस पर किसी बाहरी व्यक्ति या दूसरे विभाग के कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है, तो वह अपने ही कार्यालय की इंटरनल कंप्लेंट्स कमेटी (ICC) में PoSH एक्ट के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है।

जस्टिस जी.के. माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने कहा कि पीड़िता को आरोपी के विभाग की आईसीसी में शिकायत करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। PoSH एक्ट का उद्देश्य महिलाओं को सुरक्षित और सुलभ न्याय देना है, न कि प्रक्रिया को जटिल बनाना। इस फैसले से महिलाओं को बड़ी राहत मिली है और PoSH कानून की व्याख्या और अधिक मजबूत हुई है।

यह मामला 15 मई 2023 का है, जब एक आईएएस अधिकारी ने नई दिल्ली के कृषि भवन में अपने वर्कप्लेस पर एक आईआरएस अधिकारी द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। पीड़िता ने अपने ही विभाग की आईसीसी में शिकायत दर्ज कराई थी। आरोपी ने दलील दी कि वह सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज का कर्मचारी है, इसलिए केवल उसी विभाग की आईसीसी जांच कर सकती है। हालांकि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, दिल्ली हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि PoSH एक्ट में वर्कप्लेस की परिभाषा व्यापक है और इसमें नौकरी से जुड़ी हर वह जगह शामिल है, जहां महिला कार्य के सिलसिले में जाती है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी का उसी संस्थान का कर्मचारी होना जरूरी नहीं है। बता दें कि पीड़ित महिला के वर्कप्लेस को आईसीसी PoSH एक्ट के तहत प्रारंभिक या शुरुआती जांच कर सकती है।

इसके बाद अगर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई शुरू होती है तो आरोपी के विभाग की आईसीसी औपचारिक जांच प्राधिकरण के रूप में काम करेगी। इस फैसले के बाद साफ हो गया कि अगर किसी महिला के साथ उसके ऑफिस में किसी बाहरी व्यक्ति या दूसरे डिपार्टमेंट के कर्मचारियों ने उत्पीड़न किया, तो वह अपने ही ऑफिस में आईसीसी में शिकायत दर्ज करा सकती है और उसे न्याय पाने के लिए दूसरे संस्थान के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

































