RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सल उन्मूलन अभियान को मजबूत बनाने और आत्मसमर्पित नक्सलियों को मुख्यधारा में जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। मंत्रिपरिषद ने उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरणों की समीक्षा और उचित मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज यानी 10 दिसंबर को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

इस दौरान कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि आत्मसमर्पित नक्सलियों से जुड़े मामलों की जांच और समीक्षा के लिए विशेष मंत्रिपरिषद उप समिति बनाई जाएगी। यह समिति सभी प्रकरणों का परीक्षण कर अपनी अनुशंसा मंत्रिपरिषद के सामने रखेगी। यह पूरी प्रक्रिया राज्य की नक्सलवादी आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत पुनर्वास नीति-2025 के अनुरूप होगी, जिसमें अच्छे आचरण और नक्सलवाद खत्म करने में दिए गए सहयोग के आधार पर मामलों की वापसी पर विचार का प्रावधान है।

इसके साथ ही जिला स्तर पर भी एक अलग समिति बनाई जाएगी, जो आत्मसमर्पित नक्सलियों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों की रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेजेगी। इसके बाद शासन और विधि विभाग की राय लेकर इन्हें मंत्रिपरिषद उप समिति को भेजा जाएगा। केंद्रीय कानूनों से जुड़े मामलों में केंद्र सरकार की अनुमति ली जाएगी, जबकि अन्य मामलों को न्यायालय में अभियोजन अधिकारी के माध्यम से वापस लेने की कार्रवाई की जाएगी। बैठक में वर्ष 2025–26 के प्रथम अनुपूरक बजट से जुड़ा छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक, 2025 भी विधानसभा में पेश करने के लिए अनुमोदित किया गया।

मंत्रिपरिषद ने राज्य के 14 अधिनियमों में संशोधन के लिए ‘छत्तीसगढ़ जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) (द्वितीय) विधेयक, 2025’ को भी मंजूरी दी है। इन संशोधनों का उद्देश्य कानूनों को समयानुकूल बनाना, छोटे उल्लंघनों पर सख्त दंड के बजाय सरल प्रशासकीय कार्रवाई का रास्ता खोलना और न्यायालयों का बोझ कम करना है। राज्य सरकार इससे पहले भी 8 अधिनियमों के 163 प्रावधानों में बदलाव कर चुकी है। अब 11 विभागों के 14 अधिनियमों में 116 प्रावधानों को और सरल बनाकर आम नागरिकों और व्यवसायों को राहत देने की तैयारी की जा रही है।

नए संशोधनों से सब बदलेगा?
- छोटे मामलों में प्रशासकीय स्तर पर त्वरित कार्रवाई होगी।
- अदालतों का बोझ कम होगा।
- दंड राशि को वर्तमान समय के हिसाब से संशोधित किया जाएगा।
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग को बढ़ावा मिलेगा।
- शासन की कार्यप्रणाली अधिक प्रभावी और पारदर्शी होगी।



































