INDORE NEWS. सुप्रीम कोर्ट ने इंदौर के दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की तरफ से झूठा हलफनामा पेश करने पर कड़ी नाराजगी जताई है और इंदौर के पुलिस कमिश्नर को भी इस मामले में पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वे 9 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में इस मामले पर विस्तृत हलफनामा पेश करें, जिसमें इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी हो।

चार मामलों में नहीं था अनवर का नाम
यह मामला अनवर हुसैन की जमानत से जुड़ा है। एडिशनल डीसीपी दिशेष अग्रवाल और थाना प्रभारी इंद्रमणि पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि अनवर पर आठ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। लेकिन जब डबल बेंच न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने जांच की।
इसमें पाया कि उन आठ मामलों में से चार में अनवर का नाम नहीं था। इनमें धारा 376 (बलात्कार) का एक मामला भी था, जो वास्तव में 2023 में करण पवार नाम के एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज था और वह बलात्कार का मामला नहीं बल्कि अवैध हथियार रखने का था।

कोर्ट ने इस गलती को जानबूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की नीयत माना और इसे अदालत को गुमराह करने के प्रयास के रूप में देखा। उच्चतम न्यायालय ने दोनों अधिकारियों को रिस्पॉन्डेंट नंबर 2 और 3 तथा पुलिस कमिश्नर को रिस्पॉन्डेंट नंबर 5 बनाया है।

हाई कोर्ट में भी दिया था झूठा हलफनामा
आगे, हाई कोर्ट में भी इसी तरह झूठा हलफनामा देकर बताया गया था कि अनवर आठ अपराधों में शामिल है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसके खिलाफ तीन ही मामले हैं। बाद में पुलिस ने गलती मानते हुए सुप्रीम कोर्ट में दूसरा हलफनामा दाखिल किया जिसमें बताया कि मंडलेश्वर में दो और सनावद में एक केस वास्तव में दूसरे अनवर के खिलाफ हैं।
साथ ही चंदन नगर में दर्ज बलात्कार का मामला भी करण के खिलाफ है और वह अवैध हथियार रखने से संबंधित है।यह गलती पोर्टल की मिस्टेक और पुलिस की चूक के कारण हुई। पुलिस ने दूसरी बार हलफनामे में इन गलतियों को स्वीकार किया।

कोर्ट तय करेगा अफसरों पर क्या हो कार्रवाई
अब कोर्ट यह देखेगा कि इन अफसरों के ऊपर क्या कार्रवाई होगी। भविष्य में इस प्रकार की गुमराह करने वाली घटनाओं को ठीक करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।


































