RAIPUR NEWS. नए साल की शुरुआत छत्तीसगढ़ में साहित्य की महक से होने वाली है। नवा रायपुर में 23 से 25 जनवरी 2026 तक रायपुर साहित्य उत्सव आयोजित किया जाएगा। इस आयोजन में देशभर से 100 से ज्यादा साहित्यकार आएंगे। तीन दिन चलने वाले इस आयोजन में देशभर के नामचीन लेखक, कवि और साहित्य शोधकर्ता जुटेंगे। कुल 11 सत्र होंगे, जिसमें इसमें 5 समानांतर सत्र, 4 सामूहिक सत्र और 3 संवाद सत्र होगा। इनमें पाठकों, साहित्यकारों और प्रतिभागियों के बीच सीधा संवाद होगा।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सोमवार को इस उत्सव के लोगो का अनावरण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के 25 साल पूरे होने के मौके पर यह साहित्य उत्सव एक बड़ा अवसर है। इससे न सिर्फ प्रदेश के पाठकों और युवाओं को प्रेरणा मिलेगी, बल्कि देशभर के साहित्यकारों से मिलने और उनके विचार सुनने का मौका भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह आयोजन छत्तीसगढ़ को साहित्य जगत में नई पहचान दिलाएगा।

कार्यक्रम जनजातीय संग्रहालय (नवा रायपुर) के पास आयोजित किया जाएगा। आयोजन की तैयारी दो महीने के भीतर पूरी की गई है। लॉन्च किया गया लोगो छत्तीसगढ़ की संस्कृति और साहित्यिक विरासत पर आधारित है। इसमें— सल्फी के पेड़ को राज्य की पहचान के रूप में दिखाया गया है। यह पेड़ छत्तीसगढ़ की जनजातीय परंपरा, भाईचारे और सांस्कृतिक जड़ों का प्रतीक माना जाता है।

लोगो पर लिखे वाक्य आदि से अनादि तक और ‘सुरसरि सम सबके हित होई साहित्य की निरंतरता, समावेशिता और समाजहित के भाव को दर्शाते हैं। लोगो का संदेश साफ है-छत्तीसगढ़ की साहित्य यात्रा सदियों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही जीवंत है।

गले महीने आयोजित होने जा रहे रायपुर साहित्य उत्सव के लोगो में छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को एक प्रभावशाली प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया है। यह लोगो न सिर्फ राज्य की पहचान को दर्शाता है, बल्कि बस्तर की जैव-विविधता, जनजातीय परंपराओं, और छत्तीसगढ़ की आत्मा माने जाने वाले सल्फी पेड़ की सांस्कृतिक महत्ता को भी सशक्त रूप में उजागर करता है।




































