JAGDALPUR NEWS. नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने एक पत्र जारी कर खूंखार माओवादी माड़वी हिडमा के एनकाउंटर को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। नक्सली प्रवक्ता विकल्प की ओर से जारी इस पत्र में दावा किया गया है कि मुठभेड़ की जानकारी नक्सलियों के ही एक कमांडर कोसाल ने आंध्र प्रदेश पुलिस को दी थी। प्रवक्ता ने कोसाल पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा है कि उसकी मुखबिरी के कारण न सिर्फ हिडमा की मौत हुई, बल्कि करीब 50 नक्सलियों को भी पुलिस ने पकड़ लिया।

प्रवक्ता विकल्प ने पत्र में लिखा है कि संगठन के अंदर से हुई गद्दारी के कारण नक्सल आंदोलन को नुकसान हुआ है। उन्होंने सरेंडर करने वाले नक्सलियों को “गद्दार” करार देते हुए कहा कि सरेंडर की प्रक्रिया सुरक्षा बलों द्वारा बनाई गई एक रणनीति है, जिसका उद्देश्य संगठन को कमजोर करना है।

माओवादी विकल्प ने किया ये दावा
पत्र में यह भी दावा किया गया है कि 27 अक्टूबर को हिड़मा एक लकड़ी व्यापारी के साथ इलाज के लिए विजयवाड़ा गया हुआ था। वहीं कुछ अन्य साथी भी वहां गए थे। 9 नवंबर को नक्सली साथी कोसाल संगठन से भाग गया था। उसने सीधा तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। हिड़मा के जंगल से बाहर निकलने और इलाज के लिए विजयवाड़ा जाने की जानकारी इसे थी। कोसाल के सरेंडर करने के बाद तुरंत किसी माध्यम से हिड़मा को इसकी जानकारी दी गई थी।

हिड़मा को 14 नवंबर को जानकारी मिली थी और उसे जंगल आने को कहा गया था। जानकारी मिलते ही हिड़मा सुरक्षित जगह पर जाने की कोशिश कर रहा था। शंकर भी अपने साथियों के साथ बाहर था। हिड़मा और शंकर समेत 13 साथी जब जंगल आ रहे थे तब आंध्र प्रदेश पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। इन्हें 18 और 19 नवंबर को आंध्र प्रदेश में ही मार दिया गया। मुठभेड़ की झूठी कहानी रची गई।




































