RAIPUR NEWS. रायपुर में मच्छर अब सिर्फ काट नहीं रहे, सवाल भी पूछवा रहे हैं। सवाल यह कि जब मच्छरों का आतंक बढ़े, तो आम आदमी आखिर जाए तो जाए कहां? वामनराव लाखे वार्ड के गोपिया पारा इलाके के एक युवक ने इसी सवाल का जवाब अपने तरीके से दिया। मच्छर पकड़ो और नगर निगम पहुंचो। दंतेश्वरी मंदिर क्षेत्र निवासी दाऊ लाल पटेल को जब मच्छर ने काटा, तो बात सामान्य नहीं रही। मन में डर बैठ गया-कहीं यह डेंगू वाला मच्छर तो नहीं? पहले डॉक्टर से सलाह ली।

इस दौरान डॉक्टर ने कहा कि जांच करवा लो। बस फिर क्या था, युवक ने मच्छर को मारकर पॉलीथिन में बंद किया और सीधे नगर निगम दफ्तर का रुख कर लिया। इस अनोखे ‘सबूत’ के साथ वह सामाजिक कार्यकर्ता विजय सोना और निगम नेता प्रतिपक्ष आकाश तिवारी के साथ स्वास्थ्य विभाग पहुंचा। निगम दफ्तर में उस वक्त लोग हैरान रह गए, जब पॉलीथिन खोली गई और अंदर से निकला। एक मच्छर। युवक का सवाल सीधा था—“अगर यह डेंगू का मच्छर निकला, तो जिम्मेदार कौन होगा?

इस मामले की गंभीरता को समझते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों ने मच्छर को कालीबाड़ी स्थित एंटोमोलॉजिस्ट के पास जांच के लिए भेजा। कुछ ही देर में रिपोर्ट आ गई। मच्छर साधारण था। स्वास्थ्य अधिकारी तृप्ति पाणिग्रही ने बताया कि शिकायत मिलते ही क्षेत्र में एंटी लार्वा छिड़काव और फॉगिंग के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मच्छर भले ही साधारण निकला हो, लेकिन एहतियात जरूरी है।

युवक की सांस में सांस आई, लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। निगम नेता प्रतिपक्ष आकाश तिवारी ने मौके पर ही मच्छर नियंत्रण व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि रायपुर में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि लोग डर के मारे मच्छर पकड़कर निगम आने को मजबूर हैं। एक तरफ ‘स्वच्छ रायपुर, सुंदर रायपुर’ के नारे हैं, दूसरी तरफ शहर में मच्छरों का ऐसा साम्राज्य कि डेंगू और मलेरिया का डर हर घर में मंडरा रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि इसी इलाके में कुछ साल पहले मच्छर के काटने से एक युवक की जान भी जा चुकी है।

रायपुर की यह घटना महज एक किस्सा नहीं, बल्कि राजधानी की जमीनी हकीकत का आईना है। 25 साल में शहर ऊंची इमारतों और चौड़ी सड़कों तक तो पहुंच गया, लेकिन खुली नालियों और ओपन ड्रेनेज में पनपते मच्छरों से अब तक निजात नहीं पा सका। निचली बस्तियां हों या वीआईपी कॉलोनियां—मच्छरों का डंक सबके लिए बराबर है।


































