RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ की खेती अब सिर्फ धान तक सीमित नहीं रह गई है। खेतों में हरियाली के बीच अब रंग-बिरंगे फूल भी किसानों की मेहनत की नई पहचान बन रहे हैं। परंपरागत फसलों से आगे बढ़कर प्रदेश के किसान तेजी से पुष्प खेती को अपना रहे हैं। बीते ढाई वर्षों में राज्य में फूलों की खेती का रकबा 3405 हेक्टेयर बढ़ा है और उत्पादन 35 हजार 866 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। यह बदलाव खेती के तौर-तरीकों के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा दे रहा है। राज्य सरकार की फसल विविधिकरण नीति के चलते पुष्प खेती को बढ़ावा मिला है। वर्तमान में प्रदेश में फूलों की खेती का कुल रकबा बढ़कर 12 हजार हेक्टेयर हो चुका है।

किसान अब ग्लेडियोलस, रजनीगंधा और गेंदा जैसे फूल उगा रहे हैं, जिनकी बाजार में लगातार मांग बनी रहती है। आसान बिक्री और बेहतर दाम मिलने से फूल किसानों के लिए नगदी फसल साबित हो रही है। केंद्र सरकार की परिवर्तित राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के तहत पुष्प क्षेत्र के विस्तार के लिए किसानों को बड़ा सहारा मिल रहा है। इस योजना के अंतर्गत प्रति हेक्टेयर 50 हजार से 2.50 लाख रुपये की इकाई लागत पर 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। यानी किसानों को सीधे 20 हजार से एक लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता मिल रही है।

उद्यानिकी विभाग के अनुसार ग्लेडियोलस और रजनीगंधा की खेती के लिए अधिकतम दो हेक्टेयर तक अनुदान की पात्रता तय की गई है। इन फसलों पर 2.5 लाख रुपए की लागत में एक लाख रुपए तक का अनुदान मिलता है। चालू वर्ष में राज्य में 125 हेक्टेयर ग्लेडियोलस और 50 हेक्टेयर रजनीगंधा की खेती का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, गेंदा फूल की खेती के लिए 1200 हेक्टेयर का लक्ष्य तय किया गया है, जिसमें 50 हजार रुपये की लागत पर 20 हजार रुपए अनुदान दिया जा रहा है। कुल मिलाकर इस साल 1375 हेक्टेयर क्षेत्र में पुष्प खेती को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य है। राज्य में संरक्षित खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

पॉलीहाउस और शेडनेट के जरिए एंथुरियम, ऑर्किड, कार्नेशन, जरबेरा, गुलाब, क्राइसेंथिमम और लीलियम जैसे उच्च मूल्य वाले फूलों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। एंथुरियम और ऑर्किड के लिए 4000 वर्गमीटर तक 1000 रुपये प्रति वर्गमीटर की लागत पर 50 प्रतिशत अनुदान मिलता है। वहीं गुलाब, क्राइसेंथिमम और लीलियम पर 45 रुपये प्रति वर्गमीटर की लागत पर भी 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का कहना है कि पुष्प खेती किसानों की आय बढ़ाने और युवाओं को खेती से जोड़ने का एक प्रभावी जरिया बन रही है।

सरकार अनुदान, तकनीक और बाजार की बेहतर व्यवस्था के जरिए किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ को फूलों की खेती के बड़े केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में काम किया जा रहा है। सरकारी सहयोग, बाजार की मजबूत मांग और आधुनिक तकनीक के सहारे छत्तीसगढ़ के खेतों में अब सिर्फ फसल नहीं, बल्कि खुशहाली की खुशबू भी लहलहा रही है।
































