WASHINGTON NEWS. अमेरिका में काम करने का सपना देख रहे विदेशी वर्कर्स के लिए साल 2025 आसान नहीं रहा। सत्ता में वापसी के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इमिग्रेशन सिस्टम में ऐसे बड़े और सख्त बदलाव किए, जिनसे अमेरिका में नौकरी करना, वीजा बनाए रखना और दोबारा एंट्री लेना पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया। H-1B वीजा से लेकर ग्रीन कार्ड और EAD तक, लगभग हर व्यवस्था में बदलाव का असर सीधे विदेशी कर्मचारियों पर पड़ा है। ट्रंप सरकार का सबसे बड़ा और चर्चित फैसला H-1B वीजा फीस को 1 लाख डॉलर तक बढ़ाने का रहा।

इस फैसले के बाद अमेरिकी कंपनियों के लिए विदेशी टैलेंट को हायर करना बेहद महंगा हो गया है। नतीजतन कई कंपनियां अब विदेशी वर्कर्स की भर्ती से बचने लगी हैं। 15 दिसंबर 2025 से H-1B वीजा होल्डर्स और उनके डिपेंडेंट्स के लिए सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच अनिवार्य कर दी गई है। अगर किसी पोस्ट या गतिविधि को आपत्तिजनक माना गया, तो वीजा सीधे खारिज किया जा सकता है। इस वजह से बड़ी संख्या में वीजा इंटरव्यू रिशेड्यूल भी हुए हैं। ट्रंप सरकार ने अमीर कंपनियों और हाई-स्किल वर्कर्स के लिए ट्रंप गोल्ड कार्ड लॉन्च किया है।

इसके तहत कंपनियां 2 मिलियन डॉलर देकर अपने पसंदीदा वर्कर के लिए ग्रीन कार्ड खरीद सकती हैं, जिससे वह अमेरिका में स्थायी रूप से रह सके। हालांकि, यह विकल्प आम विदेशी वर्कर्स की पहुंच से बाहर माना जा रहा है। ट्रंप सरकार ने उन कंपनियों पर भी सख्ती की है, जो H-1B की जगह B-1 (इन ल्यू ऑफ H-1B) वीजा का इस्तेमाल कर वर्कर्स से काम करवा रही थीं। अब ऐसे यात्रियों से ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे विदेशी वर्कर्स के लिए बड़ा झटका तब लगा, जब EAD का 540 दिन का ऑटोमैटिक एक्सटेंशन खत्म कर दिया गया।

अब USCIS से रिन्यू होने पर ही नौकरी की अनुमति मिलेगी। EAD की वैलिडिटी 5 साल से घटाकर 12–18 महीने कर दी गई। इससे वर्कर्स को बार-बार रिन्यू की प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा और अनिश्चितता बढ़ गई है। दिसंबर 2025 से लागू नए नियमों के तहत अब लगभग सभी गैर-अमेरिकी नागरिकों को अमेरिका में प्रवेश और निकास के समय फेस स्कैन और फिंगरप्रिंट देना अनिवार्य होगा।

सरकार का मकसद वीजा ओवरस्टे पर रोक लगाना है, लेकिन इससे विदेशी वर्कर्स की निगरानी और कड़ी हो गई है। 2025 में अमेरिका की इमिग्रेशन नीति विदेशी वर्कर्स के लिए ज्यादा महंगी, जटिल और सख्त हो गई है। नए नियमों ने यह साफ कर दिया है कि अब अमेरिका में नौकरी करना सिर्फ स्किल नहीं, बल्कि कड़ी जांच और भारी खर्च से भी जुड़ा होगा।


































