INDORE NEWS. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने फिल्म ‘हक’ की रिलीज पर लगी रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया है। यह फैसला मंगलवार को सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद गुरुवार को जारी किया गया। याचिका शाहबानो बेगम की बेटी सिद्धिका बेगम ने दायर की थी। इसमें आरोप था कि यह फिल्म शाहबानो के जीवन पर आधारित है और इसमें उनकी निजी घटनाओं का चित्रण किया गया है, जबकि उनके उत्तराधिकारियों की अनुमति नहीं ली गई।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जयललिता और माने-जाने वाले माओवादी नेता वीरप्पन पर भी पहले फिल्में बन चुकी हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि इस पर फिल्म बनाना गलत है। फिल्म निर्माताओं के वकीलों ने तर्क दिया कि फिल्म की शुरुआत में ही स्पष्ट किया गया है कि यह एक काल्पनिक कहानी है, बायोपिक नहीं है। लिहाजा, उत्तराधिकारियों की सहमति की आवश्यकता नहीं थी।
वकीलों ने ये तर्क भी दिए
साथ ही, उन्होंने शाहबानो बेगम की मृत्यु 1992 में होने की बात कही और कहा कि उनकी मृत्यु के बाद उनके बच्चे मानहानि आदि की बात अपने तरीके से कर सकते हैं। फिल्म निर्माताओं की ओर से एडवोकेट एचवाई मेहता समेत अन्य ने कई न्यायिक निर्णय प्रस्तुत किए, जो इस मामले में उनका पक्ष मजबूत करते हैं।

रिलीज से पहले उठा रहे हैं आपत्ति
वकीलों ने यह तर्क भी रखा कि वर्ष 2024 में ही यह सार्वजनिक हो चुका था कि शाहबानो केस को लेकर फिल्म बनने वाली है। मगर, याचिकाकर्ता ने उस वक्त कोई आपत्ति नहीं ली। अब जब फिल्म रिलीज के लिए तैयार है तो आपत्ति उठाई जा रही है, जबकि विशेषज्ञों ने फिल्म को देखने के बाद ही प्रमाण पत्र जारी किया है।

यह है शाहबानो केस
शाहबानो केस की पृष्ठभूमि में बताया गया कि वर्ष 1978 में पति द्वारा तलाक के बाद शाहबानो ने गुजारा भत्ता के लिए मुकदमा दायर किया था। इस केस में सब कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उसका पक्ष रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को सभी मुस्लिम महिलाओं सहित लागू करते हुए पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।

फिल्म की रिलीज का साफ हुआ रास्ता
हालांकि, बाद में सरकारी कानून के चलते यह भत्ता केवल इद्दत अवधि तक सीमित कर दिया गया। यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और बायोपिक फिल्मों के निर्माण के कानूनी अधिकारों के लिए अहम माना जाता है। इससे फिल्म ‘हक’ की रिलीज का रास्ता साफ हो गया है।




































