INDORE NEWS. इंदौर में राशन के चावल की कालाबाजारी के एक मामले में जेल में बंद आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करवाने के लिए चंदन नगर पुलिस ने कोर्ट में गलत शपथ पत्र पेश किया। पुलिस ने दावा किया कि आरोपी अनवर हुसैन के खिलाफ आठ अन्य मामले दर्ज हैं, जिनमें दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराध भी शामिल हैं।
लेकिन हकीकत में, उसके खिलाफ केवल चार केस थे और उनमें से दो में वह पहले ही बरी हो चुका था। सुप्रीम कोर्ट ने इस झूठी जानकारी को बेहद गंभीर माना और एडीसीपी दीशेष अग्रवाल तथा चंदन नगर थाने के टीआई इंद्रमणि पटेल को नोटिस भेजा है।
इस मामले में एडीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि आरोपी के खिलाफ पूर्व में भी कालाबाजारी के मामले दर्ज हैं। आरोपी के खिलाफ जो अपराध भेजे गए हैं, उनकी जांच की जा रही है। इस मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का अक्षरशः पालन किया जा रहा है। गलत शपथपत्र दिए जाने के मामले में एडिशनल डीसीपी नए सिरे से हलफनामा पेश किया जा रहा है।

25 नवंबर तक पेश होने के आदेश
कोर्ट ने पूछा है कि झूठा शपथ पत्र देने के लिए दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों न की जाए? उन्हें 25 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होकर जवाब देने का निर्देश दिया गया है।
इन आरोपों में किया था केस दर्ज
यह मामला अक्टूबर 2024 का है, जब पुलिस ने अनवर हुसैन पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, जालसाजी और फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोपों में केस दर्ज किया था। जिला और हाई कोर्ट से जमानत न मिलने के बाद अनवर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी।

चार की जगह 8 केस में बनाया था आरोपी
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से फाइल किए गए शपथ पत्र में कहा गया कि अनवर के खिलाफ आठ केस हैं, जिनमें एक दुष्कर्म का भी है। आरोपी के वकील ने इसका विरोध करते हुए सबूतों के साथ बताया कि जिन आठ मामलों का जिक्र किया गया है, उनमें से चार में अनवर का नाम ही नहीं है और बाकी दो में वह बरी हो चुका है।

नया शपथ पत्र देकर स्वीकारी गलती
इसके बाद सरकार ने नया शपथ पत्र दाखिल कर गलती स्वीकार की और कहा कि आरोपी व उसके पिता के समान नाम होने से कंप्यूटर में भ्रम हो गया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस का तर्क मानने से इनकार कर दिया और आरोपी को जमानत दे दी।

कोर्ट ने कही यह बात
अदालत ने कहा कि यह मामला एक व्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा है, इसलिए शपथ पत्र तैयार करने में शामिल सभी अधिकारियों को कारण बताना होगा कि इस गलती के लिए उन पर कार्रवाई क्यों न की जाए। साथ ही दोनों अफसरों को खुद पेश होकर जवाब देना होगा।





































