RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़िया गौरव और अस्मिता को लेकर राजधानी में दो दिनों तक चली महत्त्वपूर्ण बैठक में प्रदेश के विभिन्न समाजों और संगठनों के प्रमुख एक मंच पर नजर आए। बैठक में सर्वसम्मति से अमित बघेल के खिलाफ दर्ज FIR को दुर्भावनापूर्ण और उद्देश्यपूर्ण बताया गया। सभी समाज प्रमुखों ने कहा कि अमित बघेल ने प्रशासन से केवल सवाल पूछा था, जिसे तोड़-मरोड़कर विवाद का रूप दिया गया।

बैठक में पाँच अहम प्रस्ताव पारित किए गए—
- अमित बघेल के खिलाफ दर्ज FIR की निंदा की गई और इसे निरस्त करने की मांग की गई।
- FIR को रद्द कराने के लिए सर्व समाज के प्रतिनिधि राष्ट्रपति और राज्यपाल से मुलाकात करेंगे।
- छत्तीसगढ़ी व्यापारियों से ही लेन-देन करने का सर्वसम्मति से संकल्प लिया गया।
- सभी समाजों ने निर्णय लिया कि राजभाषा छत्तीसगढ़ी में ही समाज के कार्य किए जाएंगे।
- छत्तीसगढ़िया पुरखों के सम्मान को अक्षुण्ण बनाये रखने का संकल्प लिया गया।

शीघ्र ही राजधानी में ‘छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान महारैली’
बैठक में तय किया गया कि राजधानी रायपुर में जल्द ही सभी समाज एकजुट होकर ‘छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान महारैली’ निकालेंगे, जिसका उद्देश्य छत्तीसगढ़िया परंपरा, संस्कृति और अस्मिता की रक्षा करना होगा।

पुरखों के अपमान पर तेज़ सवाल
बैठक में समाज प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़िया पुरखों का अपमान करने वाले मामलों में सरकारी कार्रवाई ढीली रही है, जैसे—
- पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की प्रतिमा खंडित करने वालों की गिरफ्तारी आज तक नहीं।
- बसना में वीर नारायण सिंह की प्रतिमा को कचरा वाहन में फेंकने पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं।
- संत गुरु घासीदास के छायाचित्र को अपमानित करने वालों पर कार्यवाही नहीं।
- डॉ. खुबचंद बघेल की प्रतिमा पर कालिख पोतने वाले आज़ाद घूम रहे हैं।
समाज प्रमुखों ने स्पष्ट कहा कि “छत्तीसगढ़िया पुरखों का अपमान राजद्रोह की श्रेणी में आना चाहिए” और इस प्रकार के अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई आवश्यक है।

शासन के लिए स्पष्ट संदेश
बैठक में कहा गया कि प्रदेश में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए सरकार को एकतरफा कार्यवाही बंद करनी होगी और राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर छत्तीसगढ़ियावाद को बढ़ावा देना होगा।




































