UJJAIN NEWS. आस्था और अध्यात्म की नगरी उज्जैन को अब एक और धार्मिक पहचान मिलने जा रही है। शहर के पांच प्रमुख ऐतिहासिक मंदिरों को श्रीकृष्ण पाथेय योजना के तहत विकसित किया जाएगा। उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड (यूसीटीएसएल) ने इसके लिए विस्तृत योजना तैयार की है। इसका लक्ष्य सिंहस्थ महाकुंभ 2028 से पहले उज्जैन को एक समग्र धार्मिक पर्यटन सर्किट के रूप में स्थापित करना है।
इस योजना में महर्षि सांदीपनि आश्रम, चिंतामन गणेश मंदिर, हरसिद्धि शक्तिपीठ, श्रीकाल भैरव मंदिर, भूखी माता मंदिर और नारायणा धाम को शामिल किया गया है। यह पहल श्रीमहाकाल महालोक परियोजना की सफलता से प्रेरित है। इसने श्रद्धालुओं की संख्या और धार्मिक पर्यटन दोनों में बड़ी वृद्धि की।
सीएम ने दिए हैं ये निर्देश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर अब बाकी मंदिरों के विकास का काम उसी मॉडल पर किया जाएगा। यूसीटीएसएल के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम न केवल इन देवस्थानों के स्वरूप और वैभव को निखारेगा, बल्कि श्रद्धालुओं के ठहराव और भ्रमण अवधि को भी बढ़ाएगा।
ऐसा होने के बाद स्थानीय स्तर पर होटल, परिवहन और व्यापार क्षेत्र को नई गति मिलेगी। यह योजना उज्जैन को केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन दृष्टि से भी वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
विरासत और आधुनिकता का संगम
श्रीकृष्ण पाथेय योजना का केंद्र महर्षि सांदीपनि आश्रम और नारायणा धाम को बनाया गया है। मान्यता है कि यहीं श्रीकृष्ण ने महर्षि सांदीपनि से 16 विद्याएं और 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया था। वहीं नारायणा धाम का संबंध श्रीकृष्ण और सुदामा के वन विहार प्रसंग से जुड़ा है। इन पवित्र स्थलों को आधुनिक सुविधाओं जैसे सूचना केंद्र, सांस्कृतिक मंच और व्याख्या दीर्घा से जोड़कर आकर्षक धार्मिक-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
सिंहस्थ 2028 से पहले पूरा होगा काम
सरकार ने इस परियोजना को मिशन मोड में लागू करने की तैयारी की है। मुख्यमंत्री ने 30 दिसंबर 2027 तक सभी कार्य पूरे करने का निर्देश दिया है। मंदिर परिसरों का सौंदर्यीकरण, बेहतर लाइटिंग, सुगम पहुंच मार्ग, गाइड मैप, सूचना केंद्र और सांस्कृतिक प्रस्तुति स्थलों की योजना भी शामिल है।
अधिकारियों का कहना है कि जैसे श्रीमहाकाल महालोक ने उज्जैन की पहचान को नए आयाम दिए, वैसे ही श्रीकृष्ण पाथेय योजना शहर की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाएगी। यूसीटीएसएल का दावा है कि श्रीकृष्ण पाथेय योजना उज्जैन को वैश्विक धार्मिक मानचित्र पर नई पहचान दिलाएगी और शहर को महाकाल महालोक की तरह एक बार फिर अभूतपूर्व गौरव प्रदान करेगी।