RAIPUR NEWS. जंगल सफारी में बाघिन बिजली की मौत पर सियासत शुरू हो गई है । नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्यपाल को पत्र लिखकर अधिकारियों और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है । उन्होंने लिखा है कि अगर समय पर बाघिन को इलाज मिलता तो उसकी जान बच सकती थी । उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन, सफारी डायरेक्टर और डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की है ।

उन्होंने वन विभाग में 20 में से 18 डॉक्टरों के पद खाली पड़े होने पर भी सवाल खड़ा किया है । इस पर PCC चीफ दीपक बैज ने कहा कि सरकार को इस मामले में जांच करनी चाहिए । आखिर बाघिन की मौत का क्या कारण है, कौन उसके लिए जिम्मेदार है यह पता चलना चाहिए ?

भाजपा विधायक सुनील सोनी ने इस पर कहा कि मौत पर राजनीति करना कांग्रेस का काम है, पत्र लिखना कांग्रेसियों की आदत है, यह केवल महंत जी की बात नहीं है, भूपेश बघेल भी दर्जनों पत्र प्रधानमंत्री को लिखा चुके है । ये केवल पत्र लिखकर औपचारिकता पूरी करते हैं, कोई तथ्य और सबूत नहीं देते है । भारतीय जनता पार्टी की सरकार सजग है अगर कहीं लगेगा गड़बड़ हुआ है तो उसकी जांच की जाएगी, भाजपा की सरकार जांच से बचती नहीं है ।

बता दें कि राज्यपाल को प्रेषित पत्र में डॉ महंत ने लिखा है कि बिजली नामक इस बाघिन ने फरवरी 2025 में दो शावकों को जन्म दिया था। जिसमें से एक शावक मृत पैदा हुआ तथा दूसरा शावक बहुत कमजोर तथा अस्वस्थ पैदा हुआ और कुछ दिनों बाद उसकी भी मृत्यु हो गई।

बाघिन जब गर्भवती थी तभी से वह अस्वस्थ रहने लगी थी। परंतु मुख्य वाईल्ड लाईफ वार्डन तथा जंगल सफारी के संचालक की घोर उपेक्षा तथा अयोग्य पशु चिकित्सकों के कारण उसका सही इलाज नहीं हुआ। शावकों के जन्म के पश्चात् बाघिन का स्वास्थ्य अधिक खराब हुआ, तब भी अधिकारियों ने इसे गंभीरतापूर्वक नहीं लिया। जब बाघिन ने खाना-पीना छोड़ दिया तब उसे ट्रेन से गुजरात के जामनगर में स्थित वनतारा रिसर्च इंस्टिट्यूट में ईलाज के लिए भेजा गया जहां उसने दम तोड़ दिया।
