JAGDALPUR NEWS. बस्तर में एक नई सुबह की शुरुआत होने जा रही है। लगातार नक्सलियों के सरेंडर के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। लंबे समय से सक्रिय रहे नक्सली नेताओं ने अब सशस्त्र संघर्ष को विराम देने का फैसला लिया है। महाराष्ट्र में 16 अक्टूबर 2025 को सोनू दादा ने अपने 61 साथियों सहित आत्मसमर्पण किया, वहीं 17 अक्टूबर को बस्तर में रूपेश दादा उर्फ सीताराम दादा ने 210 साथियों के साथ सरकार के सामने हथियार डाल दिए।
उदंती एरिया कमेटी के प्रभारी कामरेड सुनील ने अपने साथियों को लिखे पत्र में इस फैसले की पुष्टि करते हुए पत्र में लिखा है कि वर्तमान परिस्थितियों में सशस्त्र आंदोलन जारी रखना उचित नहीं है। फोर्स का दबाव बहुत अधिक बढ़ चुका है और संघर्ष के बजाय अब जनता की समस्याओं के समाधान के लिए जनआंदोलन की राह अपनाना ही सही दिशा है।
कामरेड सुनील ने यह भी कहा कि अब संगठन जनता के बीच शांति और विकास की दिशा में काम करेगा। उन्होंने सभी यूनिट्स से अपील की है कि वे भी इस निर्णय का समर्थन करें और हथियार छोड़कर सामाजिक परिवर्तन की दिशा में आगे आएं।
कामरेड सुनील ने पत्र में बताया कि संगठन अब फोर्स से सीधा टकराव नहीं करेगा, बल्कि जनता की वास्तविक समस्याओं को हल करने के प्रयास करेगा। उन्होंने अपने सभी साथियों से अनुरोध किया है कि वे सोनू दादा और रूपेश दादा द्वारा लिए गए फैसले का सम्मान करें और जनआंदोलन की नई दिशा में शामिल हों।
पत्र के अंत में सुनील ने लिखा है कि हमारे पास अभी भी सही निर्णय लेने का समय है। संघर्ष को नया रूप देने के लिए सभी साथियों का सहयोग आवश्यक है। बता दें कि करीब दो साल में 2000 से ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौट चुके हैं।