मोहित जाटवर. मुंगेली
जल संसाधन विभाग, मुंगेली के अंतर्गत संचालित कैचमेंट एरिया डेवलपमेंट योजना एक बार फिर विवादों में घिर गई है। करीब 45 करोड़ रुपये की यह परियोजना वर्ष 2021 में शुरू हुई थी, लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी इसका कार्य अधूरा पड़ा है। स्थानीय ग्रामीणों और सूत्रों के अनुसार, विभागीय अधिकारी बिना साइट निरीक्षण के ठेकेदारों से काम करवा रहे हैं, जिसके चलते कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। अधिकांश स्थानों पर अधूरे निर्माण और खराब पाइपलाइन की शिकायतें मिल रही हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि विभाग और ठेकेदार की मिलीभगत से कागजों में काम पूरा दिखाकर भुगतान कर दिया गया, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है।

राज्य के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने हाल ही में कहा था कि “लोरमी आज बदल रहा है, सज रहा है और विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। लेकिन दूसरी ओर विभागीय अफसरों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे हैं। लोरमी क्षेत्र के राजीव गांधी जलाशय (खुड़िया) से निकलने वाली नहरों-डी-1, डी-2 और डी-3- में अंडरग्राउंड पाइपलाइन बिछाने का काम इसी परियोजना के तहत किया गया था। उद्देश्य था किसानों के खेतों तक सिंचाई का पानी पहुंचाना।

परंतु 22 करोड़ रुपए का भुगतान होने के बावजूद किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। कई स्थानों पर चेंबरों से पानी उल्टा बह रहा है, जिससे किसानों को सिंचाई में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय किसानों ने बताया कि पाइपलाइन बिछाने का कार्य घटिया सामग्री से किया गया है। कई स्थानों पर पाइपलाइन टूट चुकी है और जोड़ कमजोर हैं।

किसानों का कहना है कि विभाग ने दिखावे के लिए चेंबर तो बना दिए, पर उनमें पानी नहीं आता जानकारों के अनुसार, पाइपलाइन की गुणवत्ता जांच के बिना ही भुगतान कर दिया गया है। इससे सरकारी धन की बर्बादी हुई है और किसानों को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिला।

अफसरों की चुप्पी पर उठे सवाल
पूरे मामले पर जब जल संसाधन विभाग के अफसरों से सवाल किया गया, तो जिम्मेदार अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आए। बिलासपुर कार्यालय से लेकर लोरमी तक किसी ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया। अधिकारियों की यह चुप्पी विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। लोरमी जल संसाधन विभाग के एसडीओ ने इतना जरूर कहा कि यह प्रोजेक्ट 2021 में शुरू हुआ था और अभी भी जारी है। कुछ जगहों पर समस्याएं हैं जिन्हें ठेकेदार से सुधारने के निर्देश दिए गए हैं।
जनता और किसानों की मांग-उच्चस्तरीय जांच हो
स्थानीय नागरिकों और किसान संगठनों ने शासन से इस परियोजना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जिला प्रशासन या सरकार इस मामले को गंभीरता से ले, तो दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जाएगा।




































