WASHINGTON NEWS. अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्धविराम आज यानी मंगलवार को समाप्त हो रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने अभी तक चीन के साथ आर्थिक युद्ध विराम को बढ़ाने के समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। ऐसे में यदि दोनों देश बातचीत के लिए समय नहीं बढ़ाते हैं या अंतिम समय में समझौते पर नहीं पहुंचते हैं, तो चीन पर ऊंचा टैरिफ लग सकता है। अगर ऐसा होता है, तो दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड वॉर और बढ़ जाएगा। इससे पहले उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा था कि चीन पर टैरिफ लगाने के मुद्दे पर ट्रम्प सोच रहे हैं। अभी ठोस फैसला नहीं लिया है। अ
मेरिकी कंपनी एनवीडिया और एएमडी ने चीन को चिप बिक्री से होने वाली आय का 5% अमेरिकी सरकार के साथ साझा करने पर सहमति जताई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अप्रैल में ही चीन को उन्नत कंप्यूटर चिप्स बेचने पर रोक लगा दी थी, लेकिन एनवीडिया और एएमडी ने बताया है कि ट्रम्प प्रशासन एआई विकास में इस्तेमाल होने वाली दो चिप्स की बिक्री फिर शुरू करने की अनुमति देगा।
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चीन पर अमेरिका के हाई टैरिफ का सीधा असर उसके निर्यात और इंडस्ट्री पर पड़ेगा। चीन अमेरिका को लगभग 500 अरब डॉलर (43 लाख करोड़ रुपए) से अधिक का सामान निर्यात करता है। Apple जैसे ब्रांड चीन में बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन करते हैं। उन्हें मंहगाई का सामना करना पड़ेगा। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के व्यापक टैरिफ उपायों के बावजूद चीन का आर्थिक प्रभाव सीमित रहा है। यदि टैरिफ दर बढ़ती है, तो इससे चीन की GDP 1% तक घट सकती है।
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बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने पिछले सप्ताह रूस से तेल खरीदने की दलील देकर भारत पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसके बाद भारत पर कुल टैरिफ 50% हो गया। एक्स्ट्रा टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। भारत ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे गलत बताया। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसका तेल आयात पूरी तरह बाजार के हिसाब से तय होता है और यह उसके 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी है।