RAIPUR NEWS. रायपुर के कुकुरबेड़ा इलाके में धर्मांतरण पर मचे बवाल में अब नया मोड़ आया है। पुलिस ने इस मामले में बजरंग दल के कुछ पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। बजरंग दल के नेताओं पर आरोप है कि मसीही समाज के लोग जब एक घर में प्रार्थना सभा कर रहे थे, तो धर्मांतरण के आरोप लगाते हुए वहां जा घुसे विवाद किया, तोड़फोड़ की और महिलाओं के साथ बदसलूकी की। पुलिस इस संवेदनशील मामले की जांच कर रही है। दूसरी तरफ इस पर राजनीतिक बयान बाजी भी शुरू हो चुकी है।
आपको बता दें कि हंगामा, तोडफोड़ और सड़क पर भागती हिंसक भीड़, पुलिस के सामने भी होती रही झूमाझटकी। ये सब कुछ १० अगस्त के दिन रायपुर के कुकरबेड़ा इलाके में हुआ। अब इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। दरअसल पूरा विवाद धर्मांतरण किए जाने की बात से शुरू हुआ। मसीही समाज पर आरोप लगा कि बीमारी दूर करने और पैसों का लालच देकर ये प्रार्थना सभा में हिंदूओं का धर्म बदल रहे हैं। इसी वजह से बजरंगदल के लोगों ने विरोध जताया और सड़कों पर बवाल देखने को मिला।
अब मसीही समाज के लोगों की शिकायत पर रायपुर के सरस्वती नगर थाने में केस दर्ज किया गया है, पुलिस की कारवाई की तलवार लटकी है, बजरंग दल के पदाधिकारियों पर। अब इस मामले में भाजपा और कांग्रेस भी आमने सामने हैं। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा बड़ा बन चुका है। एक तरफ भाजपा जहां इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेवार बता रही है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस भी भाजपा को इस मामले में घेर रही है।
भाजपा प्रवक्ता गौरी शंकर श्रीवास ने कहा कि, कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को भी नहीं है लेकिन जहां भी धर्मांतरण की शिकायत आ रही है बजरंग दल वहां अपना काम कर रही है। शहरी इलाकों में धर्मांतरण का मामला तेजी से सामने आ रहा है इसलिए बजरंग दल भी सक्रिय और एक्टिव मोड में है।
इसे लेकर कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि, भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद बजरंग दल की अराजकता बढ़ गई है। यदि कही गैरकानूनी काम हो रहा है उसके लिए थाने खुले हुए हैं। यदि कहीं पर धर्मांतरण की घटनाएं बढ़ रही है तो उन्हें थाने जाना चाहिए और कानून की मदद लेनी चाहिए। सरकार बजरंग दल की इन हरकतों को नजरअंदाज कर रही है
जाहिर है कि धर्मांतरण के लगातार पूरे प्रदेश से विवाद सामने आ रहे हैं, हिंदू संगठन प्रार्थना सभा में लोगों को बरगलाने वालों पर कारवाई की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर मसीही समाज किसी ईश्वर को पूजने को संवैधानिक अधिकार बताता है। कुल मिलाकर इस मुद्दे ने सियासत और आम आदमी को उलझाकर रखा है, जो छत्तीसगढ़ में जल्दी सुलझता नहीं दिख रहा।