RAIPUR NEWS. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सीएम विष्णुदेव साय ने रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड से एक बड़ा ऐलान कर दिया है। सीएम साय ने कहा कि रायपुर में जल्द ही पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी जाएगी। इसकी शुरुआत पुलिस कमिश्नर की पदस्थापना से होगी, जो पुलिस में एडीजी या आईजी रैंक के हो सकते हैं। दिल्ली और मुंबई समेत देश के कई महानगरों में पुलिस कमिश्नर बैठते हैं और उन्हें कई मजिस्टीरियल पावर हैं। मध्यप्रदेश में भी भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर बैठते हैं। इस सिस्टम में संभवतः अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) स्तर के अफसर को कमिश्नर बनाकर रायपुर में बिठाया जाएगा। उनसे नीचे अलग-अलग इलाकों के लिए डिप्टी कमिश्नर आफ पुलिस (डीसीपी) और असिस्टेंट कमिश्नर आफ पुलिस (एसीपी) काम करेंगे।
दरअसल, यह सिस्टम देश के सभी महानगरों के अलावा बेहद घनी आबादी वाले शहरों में लागू है। पुलिस कमिश्नर सिस्टम का आशय यह है कि कमिश्नर के बैठते ही रायपुर जिले में पुलिस बेहद पावरफुल हो जाएगी। दरअसल यह एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें किसी भी शहर या जिले में कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी सीधे पुलिस कमिश्नर को सौंप दी जाएगी। इस सिस्टम में पुलिस कमिश्नर के पास कार्यकारी (गिरफ्तारी आदि) और दंडात्मक (सजा देना) जैसे दोनों प्रकार के पावर होंगे और कमिश्नर कानून-व्यवस्था से जुड़े हर मामले में सीधे फैसला ले सकेगा। अभी रायपुर में लागू मौजूदा एसएसपी सिस्टम में पुलिस के पास केवल कार्यकारी अधिकार हैं, दंडात्मक नहीं।
जानकारी के अनुसार पुलिस कमिश्नर एकीकृत कमान का प्रमुख होगा। उसके अधीन सभी पुलिस अधिकारी काम करेंगे। पुलिस कमिश्नर के पास कई अधिकार होते हैं, जैसे कि सीआरपीसी की धारा 107-116, 144, 145 लागू करना, इनके अधीन गिरफ्तारियां करना, जेल भेजना और निर्वासन (जिलाबदर टाइप) कार्यवाही करना आदि। ये अधिकार फिलहाल प्रशासन के पास हैं। पुलिस कमिश्नर कानून-व्यवस्था के मामले में त्वरित निर्णय ले सकता है और इसे बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठा सकता है। खास बात ये है कि पुलिस कमिश्नर सीधे राज्य सरकार के प्रति जवाबदेह होंगे। उनके पास लाइसेंस जारी करने, धरना-प्रदर्शन की अनुमति आवश्यकता पड़ने पर बल प्रयोग करने का भी अधिकार होगा, जो अभी कलेक्टर के अधीन है।
ऐसे समझें अंतर
रायपुर में अभी जिला पुलिस प्रणाली लागू है, जिसके मुखिया एसएसपी हैं। इस सिस्टम में कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी कलेक्टर अथवा जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक के बीच बंटी होती है। जिला मजिस्ट्रेट के पास कार्यकारी शक्तियां होती हैं, जबकि पुलिस अधीक्षक कानून व्यवस्था लागू करने के लिए जिम्मेदार होता है। इसके विपरीत, ये तमाम अधिकार एक ही व्यक्ति यानी पुलिस कमिश्नर के पास चले जाएंगे।