RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचान लाने वाला चर्चित चर्चित विधायक खरीद-फरोख्त कांड एक बार फिर चर्चा में हैं। दरअसल, प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी से जुड़े बहुचर्चित विधायक खरीद-फरोख्त कांड की फाइल बंद कर दी गई है। सीबीआई ने स्वर्गीय जोगी की पत्नी रेणु जोगी को इसकी फाइल लौटा दी है। 2003 के इस मामले में दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत ने अजीत जोगी, अमित जोगी समेत इससे जुड़े सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। अदालत ने कहा था कि सीबीआई इस मामले में पर्याप्त सबूत पेश कर पाने में असफल रही थी। इसके बाद से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।
अजीत जोगी पत्नी व पूर्व विधायक रेणु जोगी ने कहा कि इतने पुराने मामले की फाइल वापस मिलने से वे काफी राहत महसूस कर रही हैं। दरअसल, 2003 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिला था। इसके बाद अजीत जोगी पर पैसे का लालच देकर भाजपा विधायकों को तोड़ने के आरोप लगे थे। मामले में सीबीआई जांच हुई और बाद में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट भी पेश कर दिया था। इस प्रकरण में जोगी के पुत्र अमित जोगी, पूर्व सांसद पीआर खूंटे और उनके पुत्र ओमप्रकाश खूंटे भी सहआरोपी थे।
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बता दें कि 2003 के चुनाव में भाजपा की जीत के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री जोगी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा। वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय की शिकायत पर अदालत ने सीबीआई को 5 बिन्दुओं पर जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 12, सहपठित धारा 120 बी 34 के तहत चारों पर एफआईआर दर्ज की थी।
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इसके बाद 2006 में सीबीआई ने कानूनी सलाह ली, जिसमें कहा गया कि जोगी कार्यवाहक मुख्यमंत्री थे, इसलिए एफआईआर नहीं हो सकती। 2013 में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट पेश की तो पांडे ने का कहना था कि जब सीबीआई ने स्वीकार किया है, पत्र की लिखावट जोगी की है, पैसे जोगी के थे और टेप में उनकी आवाज है, तो और क्या सबूत खोज रही है। कोर्ट ने इस पर सीबीआई से जवाब मांगा था।
सीबीआई ने पिछले साल जवाब कोर्ट में पेश किया। जोगी पर आरोप था कि भाजपा के 8 विधायकों को खरीदने की कोशिश की थी। उन्हें 45 लाख रुपए नकद और बस्तर के तत्कालीन सांसद बलीराम कश्यप को मुख्यमंत्री पद देने की बात कही गई थी।