NEW DELHI NEWS. भारत के लिए 25 जून का दिन गर्व के लिए जाना जाएगा, क्योंकि भारत के शुभांशु शुक्ला ने बुधवार को तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना होकर इतिहास रच दिया है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे और आईएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। इससे पहले, विंग कमांडर राकेश शर्मा ने 3 अप्रैल 1984 को तत्कालीन सोवियत संघ के इंटरकॉस्मोस कार्यक्रम के तहत सोयूज टी-11 से उड़ान भरी थी और सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन पर 8 दिन बिताए थे। दिलचस्प यह है कि उस वक्त शुभांशु शुक्ला का जन्म भी नहीं हुआ था।
शुभांशु एग्जीओम मिशन के पायलट हैं। नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री मिशन कमांडर पैगी व्हिट्सन, पोलैंड के स्लावोस्ज अजनान्स्की विजनियेवस्की और हंगरी के टिबोर कापू भी मिशन का हिस्सा हैं। चारों यात्रियों ने फ्लोरिडा से ड्रैगन अंतरिक्ष यान में भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे उड़ान भरी। 10 मिनट बाद यान ने पृथ्वी की परिक्रमा शुरू कर दी। अंतरिक्ष यान 28 घंटे की यात्रा कर गुरुवार शाम 4:30 बजे आईएसएस पहुुंचेगा। मालूम हो, एग्जीओम का यह मिशन 29 मई को लॉन्च होना था, लेकिन छह बार टालना पड़ा था।
ऐसे हुई मिशन की शुरुआत?
इस मिशन की शुरुआत फ्लोरिडा स्थित नासा के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से हुई। यही वह जगह है जहां से नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने मून मिशन के लिए उड़ान भरी थी। Axiom-4 के सभी यात्री स्पेशल स्पेस सूट पहनकर लॉन्च पैड पर पहुंचे और ड्रैगन कैप्सूल C213 में सवार हुए। लॉन्च से पहले उन्होंने स्पेसएक्स और नासा टीमों के साथ जरूरी तकनीकी जांच पूरी की। Axiom-4 मिशन के लॉन्च से करीब 35 मिनट पहले लॉन्च डायरेक्टर ने रॉकेट में ईंधन भरने की अनुमति दी। इससे पहले सभी क्रू सदस्यों के लिए इमरजेंसी एस्केप सिस्टम को एक्टिव किया गया, जो किसी भी इमरजेंसी में उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल सकता है।
इसके बाद Falcon-9 रॉकेट में सुपरकूल्ड लिक्विड ऑक्सीजन और RP-1 केरोसिन ईंधन भरा गया। लॉन्च से करीब 5 मिनट पहले ड्रैगन कैप्सूल ने इंटरनल पावर मोड में ट्रांजिशन किया। Axiom-4 टीम अब ISS पर अपना दो हफ्ते का वैज्ञानिक मिशन शुरू करेगी, जिसमें डायबिटीज से जुड़ा रिसर्च भी शामिल है। भारत समेत दुनियाभर के लोग उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं और इस मिशन के सफल होने की कामना कर रहे हैं।

ISS पर 14 दिन बिताएंगे, 60 प्रयोग करेंगे
- अंतरिक्ष यात्री आईएसएस पर 14 दिन बिताएंगे। 60 प्रयोग करेंगे। शुभांशु भारत के ये 7 प्रयोग करेंगे।
- माइक्रोग्रैविटी में स्क्रीन के लगातार इस्तेमाल का असर।
- मेटाबोलिज्म कैसे काम करता है, सूक्ष्म शैवाल कैसे बढ़ते हैं।
- प्रकाश संश्लेषण करने वाले नीले-हरे शैवाल अंतरिक्ष में कैसे प्रतिक्रिया करते हैं।
- गुरुत्वाकर्षण मांसपेशियों पर कैसे असर करता है।
- अंतरिक्ष में अंकुरित बीज धरती पर उगते हैं या नहीं?
- सूक्ष्मजीवों को कौन से जीन-प्रोटीन सक्षम बनाते हैं कि ये सूखे में भी जीवित रहते हैं।