DELHI/JAIPUR NEWS. दिल्ली के तिहाड़ जेल से अगस्त 2023 में पैरोल पर निकल कर फरार हुआ 100 से अधिक हत्याओं का आरोपी और ‘डाॅक्टर डेथ’ के नाम से कुख्यात आयुर्वेदिक चिकित्सक देवेन्द्र शर्मा राजस्थान के दौसा से पकड़ा गया। वह एक आश्रम में पुजारी बनकर रह रहा था। जब दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम लोकेशन ट्रेस कर उसे गिरफ्तार करने पहुंची तब वह प्रवचन दे रहा था। उसे हत्या के सात मामलों में उम्रकैद और गुरुग्राम के एक हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। सीरियल किलर बन चुका ‘डाॅक्टर डेथ’ हत्या के बाद शवों को उत्तर प्रदेश के कासगंज में स्थित हमारा नहर में फेंक देता था। इस नहर में काफी संख्या में मगरमच्छ हैं, वे शव को तुरंत निवाला बना लेते। इस कारण पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल पाता था। आरोपी ने 125 से अधिक लोगों की किडनी निकाल कर अवैध रूप से ट्रांसप्लांट किए और बड़े पैमाने पर मानव अंगों की तस्करी में लिप्त रहा। धीरे-धीरे वह सीरियल किलर बन गया।
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गैस एजेंसी के बिजनेस में घाटा हुआ तो मानव अंगों का धंधा करने लगा :
सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ जिले के पुरैनी गांव के रहने वाले देवेन्द्र शर्मा ने बिहार से बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की डिग्री हासिल की थी। उसने 1984 में दौसा के निकट बांदीकुई में जनता अस्पताल और डायग्नोस्टिक के नाम से क्लिनिक शुरू किया था। साल 1994 में उसने भारत फ्यूल कंपनी की गैस एजेंसी के लिए करीब 11 लाख रुपए निवेश किए, लेकिन कंपनी भाग गई। इस नुकसान की पूर्ति के लिए देवेन्द्र अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के धंधे से जुड़ गया। साल 2002 तक उसने 125 से अधिक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट करवाए। एक केस में उसे 5-7 लाख रुपए मिलते थे।
हालांकि 2003 तक वह बांदीकुई में क्लिनिक भी चलाता रहा। इसी दौरान वह ऐसे लोगों के संपर्क में आया जो किराए पर टैक्सी लेते और चालक की हत्या कर टैक्सी बेच देते। देवेन्द्र भी उनके साथ यह काम करने लगा। शव को वे मगरमच्छों से आबाद कासगंज की हाजरा नहर में फेंक देते, जबकि टैक्सी को मेरठ के कबाड़ियों को बेच देते। शव मगरमच्छ खा जाते और कबाड़ी टैक्सी का पुर्जा-पुर्जा अलग कर बेच देते। ऐसे में पुलिस को न शव मिलता और न ही टैक्सी।
जयपुर के टैक्सी चालक दो भाइयों की हत्या से गिरोह की हैवानियत उजागर हुई :
देवेन्द्र और गिरोह की हैवानियत पर से पर्दा तब उठा जब आरोपी जयपुर के टैक्सी चालक दो भाइयों की हत्या में पकड़े गए। पुलिस के अनुसार, 18 जनवरी 2004 को जयपुर रेलवे स्टेशन के टैक्सी स्टैंड पर चांद खां नामक टैक्सी चालक खड़ा था। एक शख्स ने , जिसने अपना नाम मुकेश खंडेलवाल बताया, चांद खां को उसकी सूमो टैक्सी लेकर यूपी में हापुड़ चलने के लिए तैयार किया। रास्ता लंबा होने और टैक्सी में एक ही सवारी होने के चलते चांद खां ने अपने भाई शराफत खां को भी साथ ले लिया। दोनों भाई कई दिनों तक नहीं लौटे तो उनके पिता गफ्फार खान ने गुमशुदगी दर्ज करवाई।
जयपुर जीआरपी थाना टीम ने मामले की पड़ताल करते हुए पता लगाया कि टैक्सी किराए पर लेने वाला शख्स डाॅ. देवेन्द्र शर्मा था, जिसने चांद खां को अपना नाम मुकेश खंडेलवाल बताया था। यूपी पहुंचने के बाद उसने अपने दो साथियों अलीगढ़ निवासी राजू रजवा और उदयवीर को टैक्सी में बैठा लिया। रास्ते में तीनों ने मिलकर दोनों भाइयों की हत्या कर शव हजारा नहर में फेंक दिए और फरार हो गए। बाद में राजू और उदयवीर पकड़े गए, उन्होंने बताया था कि देवेन्द्र जेल में बंद है। दरअसल, टैक्सी चालक दोनों भाइयों की हत्या के बाद गुरुग्राम के किडनी रैकेट मामले में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
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पुलिस ने उससे सख्ती से पूछताछ की तो उसने दोनों भाइयों की हत्या कर शव नहर में फेंकने की बात बताई। साथ ही साल 2002 से 2004 के बीच 100 से ज्यादा हत्याएं करने की बात कुबूली।
आजीवन कारावास की सजा काटते दो बार पैरोल पर फरार हुआ :
जयपुर के दोनों टैक्सी चालक भाइयों की हत्या में तीनों आरोपियों को साल 2018 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्हें जयपुर सेंट्रल जेल में रखा गया था। जनवरी 2020 में देवेन्द्र पैरोल पर बाहर निकला और फरार हो गया। उसे उस साल जुलाई में दिल्ली में दबोचा गया और जयपुर जेल भेज दिया गया। बाद में 6 केस में उम्रकैद और एक केस में फांसी की सजा के लिए उसे तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया। वहां से अगस्त 2023 में फिर पैरोल पर फरार होकर दौसा के आश्रम में पुजारी बनकर रह रहा था।