NEW DELHI NEWS. 2008 में 26/11 मुंबई हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा (64) को अमेरिका से भारत लाने में बड़ी कामयाबी मिली है। 2011 में अमेरिकी कोर्ट ने उसे 26/11 में सीधे शामिल होने से बरी कर दिया था, पर अन्य आतंकी मामलों में 14 साल की सजा सुनाई। जून 2020 में वह स्वास्थ्य कारणों से रिहा हुआ। मई 2023 में अमेरिकी कोर्ट ने भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे प्रत्यर्पण योग्य माना। अमेरिकी कोर्ट ने 4 अप्रैल 25 को राणा की प्रत्यर्पण के खिलाफ दायर अंतिम पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी, जिससे उसे भारत लाने का रास्ता साफ हुआ।
इसके बाद गुरुवार शाम 6:22 बजे राणा को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया। साढ़े 3 घंटे एयरपोर्ट पर रहा। रात करीब 10:30 बजे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 20 दिन की रिमांड मांगी। करीब डेढ़ घंटे सुनवाई चली। रात करीब 2 बजे कोर्ट ने 18 दिन की रिमांड पर भेजने का फैसला दिया। फिर उसे एनआईए हेड क्वार्टर ले जाया गया।
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अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, हेडली ने बताया- ‘26 से 28 नवंबर 2008 के बीच लश्कर के अजमल कसाब समेत 10 आतंकियों ने मुंबई में ताज होटल समेत कई जगह हमले किए। मैंने इन जगहों की रेकी की थी। राणा ने मुझे भारत का वीसा दिलाने में मदद की थी। साथ ही मुंबई में ऑफिस मुहैया कराने में भी सहायता की थी।’ बता दें, मुंबई हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी और 238 लोग घायल हुए थे।
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तिहाड़ में राणा के लिए एक हाई-सिक्योरिटी इंटरोगेशन सेल बनाई गई है। इसमें 12 अफसरों को ही एंट्री की अनुमति होगी। इसमें एनआईए के डीजी सदानंद दाते, आईजी आशीष बत्रा व डीआईजी जया रॉय शामिल। NIA की तरफ से वकील दयान कृष्णन ने पक्ष रखा, जबकि राणा की तरफ से वकील पीयूष सचदेवा ने मामले की पैरवी की। हालांकि, उसे कब और किस वार्ड में रखा जाएगा, इसका अंतिम फैसला अभी तक सामने नहीं आया है।
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राणा पाक आर्मी में 10 साल डॉक्टर रहा; पाक में जन्मा। 10 साल पाक आर्मी में डॉक्टर रहा। इसी दौरान, लश्कर के संपर्क में आया। नौकरी छोड़ी। भारत में आतंकी हमले की साजिश रची। मुंबई में आतंकी हमले के बाद राणा ने पाक छोड़ दिया और कनाडा की नागरिकता ले ली। उधर, पाक के विदेश मंत्रालय ने कहा- राणा हमारा नागरिक नहीं। दो दशक से उसने नागरिकता रिन्यू का आवेदन नहीं दिया है।
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बता दें कि अमेरिकी कोर्ट ने हेडली को 2013 में 35 साल की सजा दी यानी 2048 तक वो जेल में रहेगा। हेडली ने इस शर्त पर लश्कर और आईएसआई के बारे में अमेरिका को बताया था कि वे उसे भारत को प्रत्यर्पित नहीं करेंगे। इस वजह से भारत के बार-बार अनुरोध करने पर भी हेडली को नहीं सौंपा गया।