NEW DELHI NEWS. चुनाव प्रचार और इसके लिए कंटेंट तैयार करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। इसे देखते हुए चुनाव आयोग इसके दुरुपयोग पर अंकुश लगाने और बेहतर इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए व्यापक गाइडलाइंस बनाने में जुटा है। इन दिशानिर्देशों की झलक बिहार विधानसभा चुनाव में दिख सकती है। सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक दलों, मीडिया और सोशल मीडिया के लिए जेनरेटिव एआई संबंधी कंटेंट का खुलासा करने की बाध्यताएं तय की जाएंगी।
राजनीतिक प्रचार में एआई के इस्तेमाल के नियम और तौर-तरीके भी स्पष्ट किए जाएंगे। फेक और डीप फेक से जनित प्रचार वीडियो और ऑडियो के बारे में भी दिशानिर्देश बनाए जा रहे हैं। मकसद ये है कि इस कंटेंट का इस्तेमाल कम्युनिकेशन को सरल बनाने के लिए तो हो लेकिन मतदाताओं को भ्रमित या उनकी पसंद को गलत तरीके से प्रभावित न किया जा सके।
ये भी पढ़ें: कछुओं की मौत पर हाईकोर्ट सख्त, कहा- पुजारी भी मर्डर कर सकता है… ठीक से जांच करवाओ… पवित्र स्थान को गंदा बना रखे हो…
इसके साथ ही ये सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एआई सहायक बने, पर मतदाताओं की निजता या चुनाव की निष्पक्षता पर आंच न आए। इससे डीपफेक पर पारदर्शिता होगी। सहमति और सकारात्मक इस्तेमाल के लिए असली लगने वाला सिंथेटिक कंटेंट बनाने की अनुमति होगी, पर उसमें स्पष्ट रूप से लिखा होगा कि सामग्री डीपफेक से जनेरेटेड है।
ये भी पढ़ें: नक्सलियों की साजिश नाकाम…इस जंगल से 5 किलो का IED बरामद, जवानों को नुकसान पहुंचाने किया था प्लांट
जानकारी के अनुसार गाइडलाइंस में तय किया जाएगा कि रैली में आए लोगों की पहचान करके टारगेट नहीं कर सकेंगे। 2. चुनावी एप में डेटा एनालिटिक्स और डेटा इस्तेमाल के मानक तय किए जाएंगे। एआई गाइडलाइंस का मकसद इनके उपयोग में अस्पष्टता समाप्त करना है।
ये भी पढ़ें: अमेरिका के 245% टैरिफ पर भड़का चीन, इन सामानों का निर्यात रोका, बोला-यही रवैया रहा तो कोई भाव नहीं देगा
नए दिशानिर्देशों में विरोधियों पर चोट करने के लिए मजाकिया या किसी भी तरह का भ्रामक वीडियो जारी करने पर सख्त पाबंदी लगाई जा सकती है। रैली में आए लोगों के चेहरों के हावभाव से नेता अपने कंटेंट के लिए तो रणनीति बना सकेंगे, लेकिन विरोधी दल की रैली में जाने वाले लोगों को पहचानकर उन्हें निशाना बनाने पर सख्त रोक होगी।
ये भी पढ़ें: खेलो इंडिया में दुर्ग के सिपाही कामेश्वर ने जीता एक रजत व एक कांस्य पदक
बता दें कि आयोग का ये कदम ग्लोबल इलेक्शन ट्रैकिंग की एआई पर आई रिपोर्ट को देखते हुए अहम है। इसमें खुलासा हुआ है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भारत में एआई का इस्तेमाल अमेरिकी चुनाव से 10% और ब्रिटिश चुनाव से 30% ज्यादा हुआ।
फ्यूचर शिफ्ट लैब्स की इस रिपोर्ट में 74 देशों के चुनाव में एआई की ट्रैकिंग की गई। भारत के चुनाव में इसका सबसे अधिक 80% इस्तेमाल हुआ। एआई से 5 करोड़ से अधिक रोबोट कॉल की गईं। उम्मीदवारों की आवाज में डीपफेक से इन कॉल्स का कंटेंट जेनरेट किया गया। 22 भाषाओं में डीपफेक से प्रचार सामग्री तैयार की गई।