WASHINGTON NEWS. दुनिया के दो राष्ट्राध्यक्षों के बीच जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई। इसका यूक्रेन का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, व्हाइट हाउस में शुक्रवार की रात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की के बीच ओवल ऑफिस में तीखी बहस हुई। इस विवाद के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने यूक्रेन को दी जा रही सहायता में संभावित धोखाधड़ी और दुरुपयोग की जांच तेज करने का निर्णय लिया है।
इससे पहले बैठक के दौरान ट्रंप और जेलेंस्की के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के तरीकों पर मतभेद उभरे, जिससे बातचीत तनावपूर्ण हो गई। ट्रंप ने जेलेंस्की पर अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया था, जबकि जेलेंस्की ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के वादों पर सवाल उठाए. इस विवाद के बाद ट्रंप ने बैठक को समाप्त कर दिया और जेलेंस्की से व्हाइट हाउस छोड़ने के लिए कहा गया।
ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के आत्मानंद स्कूलों की सीटें नहीं बढ़ेंगी, PP-1 के अलावा किसी भी कक्षा में एडिमशन भी नहीं होगा
एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के दिग्गज कारोबारी एलन मस्क और उनकी डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी पहले से ही यूक्रेन को प्रदान की गई बड़ी आर्थिक और सुरक्षा सहायता में संभावित समस्याओं की जांच कर रहे थे। अब इन प्रयासों में तेजी लाई जाएगी। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि वे पहले से ही समस्याएं खोज रहे हैं।
ये भी पढ़ें: बस्तर में नक्सलियों का ताबड़तोड़ सरेंडर, अब 10 ने किया…इनमें से सात टेकलगुड़ा घटना में थे शामिल
इसके अलावा ट्रंप यूक्रेन को दी जाने वाली सभी सैन्य सहायता बंद करने पर विचार कर रहे हैं। इस मीटिंग के बाद एलन मस्क ने भी इसकी जांच के संकेत दिए थे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि यह पता लगाने का समय आ गया है कि यूक्रेन को भेजे गए सैकड़ों अरब डॉलर का वास्तव में क्या हुआ।
ये भी पढ़ें: दीपोत्सव से हुआ 51वां ललितपुर स्थापना दिवस का श्रीगणेश, बुन्देली सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मन मोहा
वहीं, इस घटना के बाद जेलेंस्की ने अमेरिका और उसकी जनता के समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि यूक्रेन न्यायपूर्ण और स्थायी शांति की दिशा में काम कर रहा है।
मुस्लिम युवक ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को दी गंदी गालियां, अब पुलिस ढूंढ रही गालीबाज को
वहीं, ट्रंप ने जेलेंस्की पर ओवल ऑफिस में अमेरिका का अपमान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब वे शांति के लिए तैयार होंगे, तब वे वापस आ सकते हैं। इस विवाद के बावजूद, जर्मनी, फ्रांस और पोलैंड जैसे देशों ने यूक्रेन के प्रति अपने समर्थन की पुष्टि की है।