NEW DELHI NEWS. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने ‘डमी स्कूलों’ में प्रवेश लेने वाले छात्रों को परीक्षा से वंचित करने की चेतावनी दी है। बोर्ड के अनुसार जो छात्र नियमित क्लास नहीं करेंगे, वे 12वीं की परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे। इसके जिम्मेदार छात्र और अभिभावक होंगे। सीबीएसई डमी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के क्रम में परीक्षा उपविधियों में संशोधन करने पर भी विचार कर रहा है। डमी स्कूल के छात्रों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) परीक्षा देनी होगी।
बोर्ड से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार यदि हमारे औचक निरीक्षण के दौरान कोई छात्र नियमित कक्षा में उपस्थित नहीं मिला, तो उसे बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बोर्ड ने कहा, जो स्कूल ‘डमी स्कूल’ की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं या गैर-हाजिर छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे रहे हैं, उनकी संबद्धता खत्म की जाएगी। इसे लेकर सीबीएसई गवर्निंग बोर्ड की हाल ही में बैठक हुई थी। फैसला इसी शैक्षणिक सत्र 2025-26 से लागू होगा।
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बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र पूरा ध्यान उसी पर केंद्रित करने के लिए डमी स्कूलों में प्रवेश लेते हैं। वे नियमित क्लास की जगह केवल बोर्ड परीक्षा देते हैं। परीक्षा समिति ने स्पष्ट किया कि बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम 75% उपस्थिति अनिवार्य होगी। यदि कोई छात्र इसको पूरा नहीं करता है, तो केवल स्कूल में नामांकित होने से उसे बोर्ड परीक्षा में बैठने का अधिकार नहीं मिलेगा।
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वहीं, स्वास्थ्य कारणों, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेलों में भाग लेने या अन्य गंभीर कारण हाेने पर ही अटेंडेंस में 25% तक छूट मिलेगी। सीबीएसई ने इसका मकसद भी साफ कर दिया है। आमतौर पर स्कूल में दाखिले से पहले अभिभावकों को वहां के माहौल की जानकारी नहीं होती। पढ़ाई शुरू होने पर इस बारे में धीरे-धीरे पता चलता है। ऐसे में कई बार लगता है कि गलत स्कूल चुन लिया। इसलिए अभिभावकों के लिए भी इन्डक्शन प्रोग्राम होगा। अभिभावकों को सही स्कूल चुनने का नजरिया मिलेगा।
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अब क्लास में भी जा सकेंगे अभिभावक
सीबीएसई स्कूलों को और समावेशी बनाया जाएगा। अभिभावक अब सिर्फ रिसेप्शन तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि बच्चों के साथ क्लास रूम में बैठ सकेंगे और मैदान में खेल भी सकेंगे। देशभर में सर्वे के बाद सीबीएसई ने पैरेंटिंग कैलेंडर बनाया है। अभिभावक शिक्षण सत्र में ऐसी 8 एक्टिविटी में हिस्सा ले सकेंगे। इसे शुक्रवार को जारी किया जाएगा।
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पैरेंटिंग कैलेंडर बनाने वाली समिति की सदस्य डॉ. निवेदिता गांगुली ने बताया, इसका मकसद स्कूल और अभिभावकों के संबंध ज्यादा सार्थक और मजबूत बनाना है। इसे लागू करने में प्रिंसिपल की अहम भूमिका होगी। इसके तहत स्कूलों में अभिभावकों के लिए भी इन्डक्शन कार्यक्रम होगा। अभिभावकों के लिए डिस्कशन प्लेटफॉर्म बनेंगे। क्लासरूम स्ट्रैटेजी बनाने में अभिभावक भी शामिल होंगे। इसके साथ ही प्रोजेक्ट वर्क में भी अभिभावक शामिल होंगे।