RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को कहा कि उनके बेटे को प्रवर्तन निदेशालय से एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए कोई नोटिस नहीं मिला है। बघेल का बयान उन खबरों के बीच आया है जिनमें कहा गया है कि बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को 15 मार्च को केंद्रीय एजेंसी के समक्ष अपना बयान दर्ज कराने के लिए पेश होने के लिए बुलाया गया है।
इन खबरों के बाद संवाददाताओं का दल आज सुबह से ही भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास और रायपुर के फायर ब्रिगेड चौक स्थित नेताजी सुभाष स्टेडियम में ईडी कार्यालय के बाहर जमा हो गया था। यह पूछे जाने पर कि क्या उनके पुत्र ईडी के समक्ष पेश होंगे, भूपेश बघेल ने कहा कि यदि नोटिस नहीं मिला है तो (ईडी के पास) जाने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि जब समन तामील होगा, तो उसका अनुपालन किया जाएगा।
बघेल ने भिलाई में अपने घर के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ईडी का काम मीडिया में सनसनी फैलाना है.. एजेंसी का इस्तेमाल लोगों को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। अब तक वे यही करते आ रहे हैं। मेरे खिलाफ सात साल से सीडी का मामला चल रहा था। हाल ही में अदालत ने मुझे सभी आरोपों से बरी कर दिया। यह एक राजनेता को बदनाम करने की भाजपा की साजिश है।’’
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आधिकारिक सूत्रों ने बताया था कि 10 मार्च को ईडी ने कथित शराब घोटाला मामले में उनके बेटे के खिलाफ धनशोधन जांच के तहत दुर्ग जिले के भिलाई शहर में भूपेश बघेल के आवास पर छापा मारा था। इसके अलावा, चैतन्य के कथित करीबी सहयोगी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल सहित 13 और ठिकानों पर भी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत तलाशी ली गई थी।
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सूत्रों के मुताबिक, तलाशी करीब आठ घंटे तक चली। इस दौरान ईडी ने लगभग 30 लाख रुपये नकद और कुछ दस्तावेज जब्त किए। छापेमारी के बाद, अपुष्ट खबरें थीं कि चैतन्य को ईडी ने शनिवार को अपना बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था। तलाशी के दौरान अपने घर पर मौजूद भूपेश बघेल ने कहा था कि ईडी की कार्रवाई भाजपा की हताशा का नतीजा है।
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राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने 11 मार्च को इस कार्रवाई के विरोध में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और ईडी के पुतले जलाए थे। ईडी के अनुसार, राज्य में कथित शराब घोटाला 2019 और 2022 के बीच हुआ था, जब छत्तीसगढ़ में बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस का शासन था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहले कहा था कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के कारण राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेब में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम गई।