BANGALORE NEWS. आप भी अपने चहेते सितारों की फ़िल्में देखने के लिए सिनेमाघरों का रुख करते हैं। वहां आप ने भी फिल्म शुरू होने से पहले कई विज्ञापनों को देखा होगा। आज कल की फिल्मों की ड्यूरेशन तो कम होती है मगर इन लंबे-लंबे एड्स की वजह से समय बढ़ जाता है। बेंगलुरु में रहने वाले एक शख्स भी कुछ ऐसा ही हुआ। दरअसल शख्स विक्की कौशल की फिल्म देखने सिनेमाघर पहुंचा था। उसे फिल्म लगभग आधे घंटे देरी से दिखानी शुरू की गई। इस समस्या को शख्स ने गंभीरता से लिया और कंज्यूमर कोर्ट पहुंच गया।
क्या है मामला?
दिसंबर 2023 में फिल्म ‘सैम बहादुर’ का शाम 4.05 बजे का शो को देखने के लिए बेंगलुरु के पीवीआर आईनॅाक्स पंहुचा था। उसके साथ उसके परिवार के दो सदस्य भी थे। फिल्म शुरू होने से पहले विज्ञापन दिखाए गए जिसके कारण फिल्म लगभग 25 मिनट की देरी से शाम 4.30 बजे शुरू हुई। शख्स का कहना है की इस वजह से उसका सारा कार्यक्रम गड़बड़ा गया। जिसके बाद वो कंज्यूमर कोर्ट पहुंच गया। कंज्यूमर कोर्ट ने शिकायतकर्ता को 20,000 रुपये और मुकदमे की लागत को कवर करने के लिए 8,000 रुपये अलग से देने का निर्देश दिया।
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अदालत ने फैसला सुनते हुए इस बात पर जोर दिया कि किसी भी व्यवसाय को उपभोक्ताओं के पैसे और समय का अनुचित लाभ उठाने का अधिकार नहीं है। आज की तेज़-रफ़्तार दुनिया में “विज्ञापन समय की बर्बादी है। जिला उपभोक्ता अदालत ने थिएटर पीवीआर आईनॉक्स को फिल्म स्क्रीनिंग में देरी का दोषी पाया और मल्टीप्लेक्स को दंड दिया। अदालत ने हर्जाने के तौर पर एक लाख रुपये देने और दर्शकों को फिल्म के शुरू होने का वास्तविक समय स्पष्ट रूप से बताने का निर्देश दिया।
वहीँ इस मामले में पीवीआर आईनॅाक्स ने सरकारी नियमों का हवाला देते हुए कहा कि फिल्मों से पहले सार्वजनिक सेवा घोषणाओं (पीएसए) की स्क्रीनिंग की जरूरत का बचाव किया. हालांकि, अदालत ने कहा कि ये दिशानिर्देश ऐसी स्क्रीनिंग को अधिकतम 10 मिनट तक सीमित करते हैं. शिकायतकर्ता ने विज्ञापनों को सबूत के तौर पर रिकॉर्ड किया था, जिससे पीवीआर आईनॅाक्स ने तर्क दिया कि इसने पायरेसी विरोधी कानूनों का उल्लंघन किया. अदालत ने इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि केवल विज्ञापन ही रिकॉर्ड किए गए थे, न कि फ़िल्म और ऐसा दर्शकों को प्रभावित करने वाले मुद्दे को उजागर करने के लिए किया गया था.
जबकि इस मामले में, पीवीआर इनॉक्स ने सरकारी नियमों का हवाला देते हुए फिल्मों से पहले सार्वजनिक सेवा घोषणाओं (पीएसए) की स्क्रीनिंग की आवश्यकता का बचाव किया। हालांकि, अदालत ने कहा कि ये दिशानिर्देश ऐसी स्क्रीनिंग को अधिकतम 10 मिनट तक सीमित करते हैं।
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