RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी में सदन से लेकर संगठन चुनाव तक आपसी गुटबाजी दिखाई दे रही है । वरिष्ठ नेताओं की आपसी सहमति नहीं बनने की वजह से प्रदेश के 467 मंडलों में से 30 से 35 मंडलों में अध्यक्षों की नियुक्ति अटकी हुई है। ऐसे में जिला अध्यक्षों का चुनाव भी अगले साल तक होने की संभावना है ।
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भारतीय जनता पार्टी इन दिनों संगठन चुनाव का महापर्व मना रही है । इसके तहत सभी बूथों का गठन किया जा चुका है । 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों की भी नियुक्ति हो जानी थी लेकिन 30 से 35 मंडलों में किसी एक नाम पर सर्वसम्मति नहीं बनने की वजह से यह सूची अटकी हुई है ।
संगठन चुनाव प्रभारी खूबचंद पारख का कहना है कि कुछ मंडलों में जो प्रस्तावित नाम आए हैं उनमें उम्र की बाध्यता और लगातार दो अध्यक्ष नहीं बनाने का नियम आड़े आ रहा है। उनका कहना है कि एक-दो दिन में सारे मंडल अध्यक्षों के नाम तय कर दिए जाएंगे उसके बाद सूची घोषित की जाएगी । इसके बाद जिला अध्यक्षों की चयन प्रक्रिया शुरू होगी । इसके लिए चुनाव प्रभारी हर जिले में 22 और 23 दिसंबर को बैठक कर रायशुमारी करेंगे । हर जिले से 3 से 5 नामों का पैनल तैयार किया जाएगा । मंडल अध्यक्ष और जिला प्रभारी जिला अध्यक्ष तय करेंगे।
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इस पर कांग्रेस चुटकी ले रही है । कांग्रेस के पूर्व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय का कहना है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भाजपा की गुटबाजी खुलकर देखने को मिली । जहां भाजपा के वरिष्ठ विधायकों ने कई मुद्दों पर अपने ही मंत्री को घेरा। भाजपा के संगठन चुनाव में भी गुटबाजी की वजह से किसी एक नाम से सहमति नहीं बन पा रही है ।
भारतीय जनता पार्टी केवल लोकतंत्र की बात करती है मगर पार्टी में लोकतंत्र नाम की चीज नहीं रह गई है। किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनने की वजह से जिस तरह से भाजपा के मंडल अध्यक्षों की सूची अटकी हुई है उससे ऐसा लगता है कि भाजपा के लिए जिला अध्यक्ष का भी सर्वसम्मति से चुनाव करना आसान नहीं होगा।