NEW DELHI NEWS. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आने के बाद शिक्षा व्यवस्था में लगातार बदलाव हो रहे हैं। दरअसल, उच्च शिक्षा में छात्रों का रजिस्ट्रेशन बढ़ाने के लिए यूजीसी ने अगले सेशन से दाखिले, पढ़ाई, मूल्यांकन और डिग्री मिलने के तौर तरीकों को बड़े पैमाने पर लचीला बनाया है। सत्र 2025-26 से देश के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में साल में दो बार जुलाई/अगस्त और जनवरी/फरवरी में दाखिले होंगे। छात्र एक सत्र में दो अलग-अलग यूजी या पीजी कोर्स कर सकेंगे और दोनों डिग्रियां वैध होंगी। किसी भी स्ट्रीम से 12वीं पास करने वाले छात्र राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा से किसी भी डिसिप्लिन के यूजी या पीजी कोर्स में दाखिले के योग्य होंगे। यानी बीएससी में प्रवेश के लिए 12वीं में साइंस होना जरूरी नहीं होगा।
दरअसल, यूजीसी ने यूजी और पीजी डिग्री प्रदान करने में निर्देशों के न्यूनतम मानक के रेगुलेशन-2024 का नया ड्राफ्ट तैयार किया है। नई व्यवस्था में बड़ी सहूलियत यह होगी कि डिग्री के लिए बीएससी, बीए, बीकॉम के प्रमुख विषयों में कुल क्रेडिट का 50% हासिल कर लिया तो बाकी 50% स्किल कोर्स, अप्रेंटिसशिप या किसी दूसरे विषय (डिसिप्लिन) की पढ़ाई के जोड़कर डिग्री मिल जाएगी। जैसे- किसी बीएससी के छात्र ने 50% क्रेडिट साइंस में हासिल की। इसके अलावा 20% क्रेडिट किसी लैब में अप्रेंटिसशिप करके और 30% क्रेडिट म्यूजिक, फाइन आर्ट्स, वेब डिजाइनिंग, थियेटर जैसे हुनर के जोड़कर डिग्री मिल जाएगी। डिग्री के लिए मेजर विषयों में कम से कम 50% क्रेडिट जरूरी है लेकिन उसी विषय की डिग्री के लिए 100% क्रेडिट जरूरी नहीं।
ये भी पढ़ें: Pushpa 2 ने बनाया कमाई का रिकॉर्ड…अल्लू अर्जुन की इस फिल्म ने ओपनिंग डे पर ही कमाए इतने करोड़
यूजीसी चेयरमैन प्रो. एम. जगदेश कुमार ने कहा कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अगले सत्र से साल में दो बार दाखिला प्रक्रिया चलाने की अनुमति होगी, बशर्ते संस्थान में नए छात्रों को दाखिला देने के लिए यूजीसी के नियमों के मुताबिक पर्याप्त संसाधान हों। सभी संस्थानों को छात्रों को किसी भी स्तर पर पढ़ाई छोड़ने और फिर से दाखिला पाने की छूट देनी होगी। वोकेशनल व स्किल कोर्स के क्रेडिट को डिग्री कोर्स के क्रेडिट सिस्टम में शामिल करना होगा। किसी कोर्स में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा का प्रावधान है तो किसी भी डिसिप्लिन का छात्र प्रवेश परीक्षा से दाखिला पाने के योग्य होगा।
ये भी पढ़ें: किसानों का आज दिल्ली कूच, पंजाब बॉर्डर पर हलचल बढ़ी, हरियाणा में अलर्ट, प्रशासन ने कहा- जाने नहीं देंगे
वहीं, छात्रों को अपने कोर्स को कम समय में करने या ज्यादा समय में पूरा करने की भी अनुमति होगी। इसे एक्सीलरेटेड डिग्री प्रोग्राम (एडीपी) और एक्सटेंडेड डिग्री प्रोग्राम (ईडीपा) कहा जाएगा। कोई भी यूनिवर्सिटी या कॉलेज अपनी कुल क्षमता में से केवल 10% छात्रों को एडीपी की अनुमति दे सकेगा। एडीपी में छात्र एक सेमेस्टर कम कर सकेंगे। यानी छह सेमेस्टर के कोर्स को पांच सेमेस्टर में पूरा कर सकेंगे। ईडीपी के लिए छात्रों के संख्या तय नहीं है। ईडीपी के तहत छात्र कोर्स के दो सेमेस्टर बढ़ा सकते हैं, यानी जो कोर्स 8 सेमेस्टर में पूरा होना है, उसे 10 सेमेस्टर में पूरा कर सकते हैं।