RAIPUR NEWS. आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। ईडी के प्रतिवेदन के आधार पर ईओडब्ल्यू ने नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में बड़ी गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए अपराध दर्ज किया है। तीनों पर आरोप है कि ईओडब्ल्यू में 2015 में दर्ज नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले (नाम) के मामले में गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास किया गया है। इसी मामले में 2019 में ईडी ने केस दर्ज किया है।
दरअसल, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय सतीश चंद्र वर्मा समेत दोनों आईएएस अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग करते हुए बड़ी गड़बड़ी करने का आरोप है। ईओडब्ल्यू की एफआईआर में बताया गया है कि साल 2019-20 में हाईकोर्ट में दूषित तरीके से अग्रिम जमानत भी हासिल की गई है, जिसका वाट्सएप चैट समेत कई सबूत ईओडब्ल्यू के हाथों लग चुका है। ईओडब्ल्यू में तीनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7क,8,13(2) और आईपीसी की धारा 182,211,193,195-ए,166 ए और 120 बी धाराएं प्रभावी की गई है।
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दर्ज एफआईआर के मुताबिक मामले में व्हाट्सएप चैट एवं उनके साथ संलग्न दस्तावेज़ों के अवलोकन और गोपनीय सत्यापन एवं सूचना संकलन पर प्रथम दृष्टया पाया गया कि वर्ष 2019 से 2020 तक लगातार डॉक्टर आलोक शुक्ला एवं अनिल टुटेजा ने छत्तीसगढ़ सरकार में लोक सेवक के पद पर पदस्थ रहते हुए अपने अपने पदों का दुरुपयोग किया और तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को असम्यक लाभ इस आशय से दिया गया कि वे लोक कर्तव्य को अनुचित रूप से करने प्रेरित किया जा सके, ताकि वह लोक कर्तव्य का कार्य पालन अनुचित रूप से कराया जाए।
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इसके साथ मिलकर अपराधिक षड्यंत्र करते हुए राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ उच्चाधिकारियों के प्रक्रियात्मक एवं विभागीय कार्यों से संबंधित दस्तावेज एवं जानकारी में बदलाव कराते हुए अपने विरुद्ध दर्ज नान के (अपराध क्रमांक 09/2015) मामले में अपने पक्ष में उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने वाले जवाब दावा बनवाए गए, जिससे उन्हें अग्रिम ज़मानत का लाभ मिल सके।