BHIALI NEWS. महादेव ऑनलाइन सट्टे के सरगना सौरभ चंद्राकर को इंटरपोल के अधिकारियों ने दुबई से गिरफ्तार कर लिया है। करीब 6 हजार करोड़ का फ्रॉड करने वाले सौरभ को दुबई की पुलिस और स्थानीय फोर्स के साथ मिलकर CBI और ED के अधिकारियों ने सौरभ चंद्राकर से जुड़ी हर डिटेल इंटरपोल को दी थी। 7 दिन के अंदर भारत लाया जा सकता है। दरअसल, यूएई की सरकार ने सौरभ की गिरफ्तारी की जानकारी भारत सरकार तथा सीबीआई को दी है। गिरफ्तारी इंटरपोल से जारी रेड कार्नर नोटिस पर किए जाने की सूचना है। रेड कार्नर नोटिस प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आग्रह पर इंटरपोल ने जारी किया था।
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ईडी की ओर से सौरभ चंद्राकर के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया भी पूरी करने की सूचना है। रायपुर में ईडी के वकील तथा छत्तीसगढ़ के डिप्टी एजी सौरभ पांडे ने बताया कि गुरुवार को रायपुर की विशेष अदालत से ईडी ने प्रत्यर्पण के लिए कुछ जरूरी आदेश हासिल कर लिए हैं। इसे दुबई की कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस आधार पर कहा जा रहा है कि सौरभ को ईडी जल्दी ही भारत ले आएगी। उसके बाद यहां जांच शुरू की जाएगी। बताया गया कि प्रवर्तन निदेशालय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक लंबे वक्त से अधिकारी दुबई में अपनी पहचान छुपाकर रुके हुए थे। सौरभ चंद्राकर के ठिकानों के आसपास अधिकारी नजर रख रहे थे। इसके बाद मौका मिलते ही सौरभ चंद्राकर को गिरफ्तार कर लिया गया है।
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लगभग डेढ़ महीने पहले, छत्तीसगढ़ सरकार ने महादेव ऐप सट्टेबाजी घोटाले की जांच को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का निर्णय लिया। यह निर्णय 22 अगस्त को लिया गया था, जिसके बाद चंद्राकर की गिरफ्तारी हुई। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट किया था कि घोटाले में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और सभी दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए सीबीआई को जांच सौंपी गई। बता दें कि CBI और ED ने इस घोटाले की गहराई में जाकर जांच की, जिससे चंद्राकर की गतिविधियों का पर्दाफाश हुआ। अब तक 572.41 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच किया जा चुका है, जिसमें 100 करोड़ रुपये की संपत्ति दुबई में है।
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यह गिरफ्तारी अत्यंत गोपनीय तरीके से की गई थी, जिसमें केवल कुछ शीर्ष अधिकारियों को इसकी जानकारी थी। उच्च-स्तरीय सूत्रों ने बताया कि चंद्राकर को आसानी से गिरफ्तार करने के लिए कार्रवाई को पूरी तरह गुप्त रखा गया। दुबई में गिरफ्तारी के बाद, भारत सरकार और CBI को जानकारी मिलने पर प्रत्यर्पण प्रक्रिया तेज हो गई। MEA (विदेश मंत्रालय), MHA (गृह मंत्रालय), ED, और CBI ने संयुक्त रूप से काम किया, सभी औपचारिकताओं को बिना देरी के पूरा करने की प्रक्रिया शुरू की।