NEW DELHI NEWS. भारत समेत दुनिया करोड़ों लोग गूगल यूज करते हैं।गूगल की सर्विस की बात करें, तो गूगल क्रोम सर्च, एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम, जीमेल, यूट्यूब, गूगल पे ऐसी तमाम सर्विस हैं, जिससे गूगल पर आरोप लगा है कि वो अपने दबदबे का गलत इस्तेमाल कर रहा है। इस बीच, गूगल को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, अमेरिकी कोर्ट ने गूगल पर एकाधिकार का आरोप लगाया है। साथ ही कोर्ट ने एंटीट्रस्ट के उल्लंघन को लेकर भी फटकार लगाई है। यूएस डिस्ट्रिक कोर्ट ने गूगल क्रोम के डिफॉल्ट सर्च इंजन और वेब ब्राउजर पर दबदबे को गलत करार दिया है।
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एंड्रॉइड और क्रोम को अलग किया जाए। साथ ही गूगल प्ले स्टोर को बाकी बिजनेस से अलग करने का निर्देश दिया है। बता दें कि मौजूदा वक्त में एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ ही गूगल क्रोम ब्राउजर लिंक्ड है। साथ ही गूगल के अन्य प्रोडक्ट जैसे जीमेल, ड्राइव और यूट्यूब भी आपस में लिंक्ड है। गूगल को कई एरिया जैसे गूगल सर्च ड्रिस्ट्रीब्यूशन प्रैक्टिस, रेवेन्यू शेयरिंग, डेटा और विज्ञापन पर सुझाव दिये है। कोर्ट ने कहा कि गूगल की तरफ से आईफोन में डिफाल्ट सर्च इंजन के तौर पर ऐपल के साथ रेवेन्यू शेयर करना नियमों के खिलाफ है। इससे बाकी प्लेयर को मार्केट में जगह बनाने में मुश्किल होगी।
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कोर्ट ने कहा कि गूगल को अपने दबदबे का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साथ ही उसे ऐसे सभी एग्रीमेंट पर रोक लगाना चाहिए, जिसमें गूगल को क्रोम और एंड्रॉइड को सर्च में अहमियत दी जाती हो। कोर्ट ने गूगल को अपने सर्विस से कलेक्ट किये गये डेटा की जानकारी साझा करने का निर्देश दिया है। Google सर्च रिजल्ट विज्ञापन और रैंकिंग एल्गोरिदम पर जानकारी देने की बात कही है। साथ ही AI टेस्टिंग के लिए उपयोग किए जाने या Google की ओनरशिप वाली AI सर्विस की जानकारी देने का सुझाव दिया है।
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Google को विज्ञापन के ऑप्शन पर पारदर्शिता लाना चाहिए। सर्च ऐड से होने वाली कमाई को जारी किया जाना चाहिए। इस मामले में Google ने कहा कि Android और Chrome को अलग करने से ग्राहकों को नुकसान हो सकता है और लागत बढ़ सकती है। साथ ही यह एक बेहद जटिल मामला होगा। कुल मिलाकर गूगल ने एंड्रॉइ़ड और अपने सर्च इंजन के कारोबार को अलग करने से मना कर दिया है।