RAIPUR. छत्तीसगढ़ में साय सरकार ने बडृा फैसला लेते हुए स्कूलों में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण पर अस्थाई रोक लगा दी। इससे सरप्लस सूची में डाले गए प्रदेश के 12 हजार शिक्षकों को तबादले से राहत मिली है। इसमें शिक्षकों के तबादले और 4077 प्राथमिक और मिडिल स्कूलों के मर्जर की प्रक्रिया को फिलहाल रोकने को कहा गया है। अब विभाग शिक्षकों के तर्कसंगत समायोजन पर विचार कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि युद्ध स्तर पर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई थी, लेकिन फ़िलहाल अब इस पर रोक लगा दी गई है। युक्तियुक्तकरण कार्य में लगे अधिकारियों को इसकी सूचना भेज दी गई।
दरअसल, सीएम विष्णुदेव साय के आदेश पर शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ प्रदेश के आधा दर्जन शिक्षक संगठनों की बुधवार को बैठक हुई थी। इसमें शिक्षक संगठनों ने तर्कसंगत समायोजन की आवश्यकता जताई। शिक्षकों ने विभाग में सभी पदों को पदोन्नति से भरने के बाद ही विसंगतियों को दूर कर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शुरू करने और स्कूलों के मर्जर की प्रक्रिया तत्काल रोक कर 2008 के सेटअप को यथावत रखने की मांग की। बैठक के 24 घंटे बाद विभाग ने युक्तियुक्तकरण को रोकने का फैसला लिया।
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शिक्षा विभाग के फैसले का सहायक शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा, संयुक्त शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केदार जैन, प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष राजनारायण द्विवेदी और शालेय शिक्षक प्रधानपाठक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज साहू ने स्वागत किया है। दूसरी ओर, शिक्षक संगठनों का दावा है कि एक तरफ सरकार प्रदेश में बड़े पैमाने पर शिक्षकों की बहाली की बात करती है। और दूसरी तरफ शिक्षा विभाग प्रदेश के 4077 प्राथमिक और मिडिल स्कूलों को बंद करने की तैयारी है। साथ ही शिक्षकों के 12 हजार पदों सरप्लस बताकर उसमें कटौती की जा रही है।
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बता दें कि प्रदेश में प्राथमिक और मिडिल स्कूलों की संख्या 20 हजार है। प्राथमिक स्कूलों में 60 बच्चों पर एक हेड मास्टर और 2 शिक्षक का प्रावधान था। अब वहां हेड मास्टर के अलावा एक शिक्षक रखा जाएगा। एेसे में एक शिक्षक कैसे पांच कक्षाओं के छात्रों को पढ़ाएगा? इसी तरह मिडिल स्कूल में 105 बच्चों पर एक हेड मास्टर और 4 शिक्षक का प्रावधान था। अब वहां हेड मास्टर के अलावा 3 शिक्षक रहंंेगे। इस लिहाज से 20 हजार शिक्षकों के पद अपनेआप खत्म हो जाएंगे। इसके बाद मौजूदा शिक्षकों पर दबाव बढ़ेगा।
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