NEW DELHI. 18वीं लोकसभा का नवनिर्वाचित सांसदों के शपथ ग्रहण के साथ आगाज हो चुका है। आज यानी 25 जून को संसद सत्र का दूसरा दिन है। सत्र की शुरुआत कल जिन सांसदों का शपथ ग्रहण नहीं हो पाया था उनका आज शपथ ग्रहण होगा। इस बीच, लोकसभा स्पीकर पद को लेकर सहमति न बन पाई है। इसके साथ ही विपक्ष ने अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। विपक्ष ने के. सुरेश विपक्ष के स्पीकर पद के उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले NDA की ओर से लोकसभा स्पीकर पद के लिए ओम बिरला ने नामांकन दाखिल कर दिया है।
लोकसभा स्पीकर का चुनाव 26 जून को होना है। देश में यह तीसरा मौका होगा, जब स्पीकर पोस्ट के लिए चुनाव होगा। इससे पहले 15 मई 1952 को पहली लोकसभा में ही अध्यक्ष पद के लिए जीवी मावलंकर और शंकर शांतराम मोरे के बीच चुनाव हुआ था। मावलंकर के पक्ष में 394 वोट पड़े थे। जबकि 55 वोट उनके खिलाफ डाले गए थे।
दूसरी बार 5वीं लोकसभा में 5 जनवरी 1976 को आपातकाल के दौरान स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ था। हालांकि, तब यह उपचुनाव था, तब बलिराम भगत के पक्ष में 344 वोट जबकि उनके खिलाफ उतरे जगन्नाथ राव जोशी को 58 वोट मिले थे।
इन मौकों को छोड़ दिया जाए तो बाकी दफा सत्ता पक्ष और विपक्ष की सर्वसम्मति से स्पीकर चुना गया। लेकिन यह तीसरा मौका है, जब ये परंपरा टूटती नजर आ रही है। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से फोन पर बात की थी और स्पीकर पद पर समर्थन मांगा था।
राहुल गांधी ने बताया कि विपक्ष स्पीकर पोस्ट पर समर्थन देने के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष को डिप्टी स्पीकर पोस्ट मिलनी चाहिए। हालांकि इस पर राजनाथ सिंह की ओर से कोई जवाब नहीं मिला।
NDA की ओर से ओम बिरला दोबारा स्पीकर पद के कैंडिडेट हैं। राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिरला 2019 से 2024 तक स्पीकर रह चुके हैं। वे जीतते हैं तो भाजपा के पहले ऐसे सांसद होंगे, जो लगातार दूसरी बार लोकसभा स्पीकर का पद संभालेंगे। अगर वे अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं तो कांग्रेस के बलराम जाखड़ के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे।
जानिए कौन हैं के.सुरेश
के सुरेश 8 बार के सांसद हैं। वे 1989, 1991, 1996, 1999, 2009, 2014, 2019, 2024 में सांसद चुने गए। के सुरेश केरल की मावेलिक्कारा सीट से कांग्रेस सांसद हैं। सबसे अनुभवी सांसद होने के बावजूद उन्हें प्रोटेम स्पीकर नहीं चुने जाने पर विपक्ष ने विरोध जताया था। के सुरेश 1989 में पहली बार सांसद चुने गए थे। 2009 में वे कांग्रेस संसदीय दल के सचिव बने। मनमोहन सरकार में के सुरेश अक्टूबर 2012 से 2014 तक केंद्र में मंत्री रहे।