GOOGLE. डीपफेक का खतरा लगातार बढ़ रहा है। भारत में अक्षय कुमार, रश्मिका मंदाना, शाहरूख और सचिन तेंदुलकर जैसी बड़ी हस्तियां भी डीपफेक का शिकार हो चुके है। चुनावों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इस खतरे से निपटने की तैयारी गूगल ने कर ली है।
गूगल ने डीपफेक चेकर एडवांस टूल लाॅन्च किया है। जिसका नाम शक्ति है। ये टूल आसानी से फेक कंटेंट, वीडियो और फोटो का पता लगा सकता है। गूगल के प्लेटफाॅर्म पर चुनावों से जुड़े सभी विज्ञापन पब्लिक किए जाएंगे। हर विज्ञापनों के साथ टैग नजर आएगा। जिससे पता चलेगा कि उस पर यकीन किया जा सकता है या नहीं।
इसके लिए एक फैक्ट चेकिंग टीम जो एआई से जनरेट हुए वीडियो, ऑडियो, फोटो और डीपफेक का पता लगाएगी। वहीं सरकार के निर्देश पर मेटा ने अपने प्लेटफाॅम्र्स पर डीपफेक चेकर टूल लांच कर दिया है। व्हाट्सएप यूजर्स अब डीपफेक वीडियो से निपटने के लिए चैटबाॅट का इस्तेमाल कर सकते है।
क्या है Shakti
गूगल इंडिया ने एआई तकनीक से तैयार होने वाले फर्जी कंटेट को रोकने के लिए शक्ति प्लेटफार्म लांच किया है। इसकी मदद से किसी भी कंटेंट का फैक्ट चैक कर उसकी वास्तविकता का पता लगा सकते है। इतना ही नहीं कंपनी की एक टीम फर्जी व आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने का काम भी करेगी।
गूगल अपने प्लेटफार्म पर चुनाव से जुड़े सभी विज्ञापन को सार्वजनिक करेगा। चाहे वह किसी भी फार्म में दिए गए हों। हर विज्ञापन पर उसकी हकीकत बताने वाला टैग होगा। जिससे कि पता चल सके कि वह विज्ञापन है।
मेटा का फैक्ट चेकर्स से करार
मेटा ने 15 भारतीय भाषाओं में 11 स्वतंत्र फैक्ट चेकिंग पार्टनर से करार किया है। कंपनी उन्हें मेटा कंटेंट लायब्रेरी का एक्सेस देगी। जिससे एआई जनरेटेड कंटेंट से निपटा जा सके।
फैक्ट चेकिंग पार्टनर चुनाव के दौरान एआई से जनरेट हुए ऑडियो, वीडियो और डीपफेक विडियो व अन्य कंटेंट को चेक करेंगे और फिर उनका रिव्यू कर उन्हें रेटिंग देंगे। एआई से बने फोटो वीडियो पर मेटा एक खास तरह का मार्कर लगाएगी। जिससे पता चल जाएगा कि वह असली है या नकली।